US: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश की टेक्नोलॉजी कंपनियों को दो टूक चेतावनी दी है। एआई समिट में उन्होंने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने अमेरिका की ताकत और संसाधनों का इस्तेमाल तो किया, लेकिन देश के लोगों को नजरअंदाज किया।
ट्रंप ने कहा कि इन कंपनियों ने फैक्ट्रियां चीन में लगाईं, कर्मचारी भारत जैसे देशों से हायर किए और टैक्स बचाने के लिए अपना मुनाफा आयरलैंड जैसे देशों में दिखाया। लेकिन अमेरिकी नागरिकों को न तो पर्याप्त रोजगार दिया और न ही उनकी आवाज़ को सम्मान।
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US: देश के हितों को प्राथमिकता
उन्होंने इस रवैये को “रेडिकल ग्लोबलिज्म” बताया और कहा कि अब यह दौर खत्म हो गया है। ट्रंप ने साफ कर दिया कि अगर टेक कंपनियां अमेरिका में कारोबार करना चाहती हैं तो उन्हें देश के हितों को प्राथमिकता देनी होगी।
खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अमेरिका को विजेता बनाने के लिए अब कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
15% से लेकर 50% तक का आयात शुल्क
ट्रंप ने व्यापार नीति में बड़ा बदलाव करते हुए ऐलान किया कि 1 अगस्त से किसी भी देश से आयात पर न्यूनतम 15% टैरिफ लगाया जाएगा। अभी तक यह दर 10% थी। उन्होंने चेतावनी दी कि जो देश 1 अगस्त तक अमेरिका के साथ व्यापार समझौते नहीं करेंगे,
उन पर 15% से लेकर 50% तक का आयात शुल्क लगाया जा सकता है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने जापान के साथ 15% टैरिफ पर डील की है और अब बाकी देशों को भी यही मानक अपनाना होगा।
टैरिफ को 10% या उससे कम रखने की मांग
इस फैसले से भारत को झटका लगा है, क्योंकि वह अमेरिका के साथ चल रही व्यापारिक वार्ता में टैरिफ को 10% या उससे कम रखने की मांग कर रहा था। नई नीति से भारत के आईटी सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर असर पड़ सकता है,
जो बड़ी संख्या में अमेरिकी कंपनियों के लिए काम करती हैं। इस बीच, अमेरिकी संघीय अदालत ने ट्रंप के उस प्रस्ताव को असंवैधानिक ठहराया है, जिसमें अमेरिका में जन्मे बच्चों को जन्म से नागरिकता न देने की बात की गई थी।
अदालत ने कहा कि यह अमेरिका की संवैधानिक व्यवस्था और ऐतिहासिक परंपरा के खिलाफ है।