ब्रिटेन में चल रही हिंसा और दंगों की लहर थमने का नाम नहीं ले रही है। इसकी वजह से वहां के कई शहर प्रभावित हुए है। यह अशांति मुख्यतः दक्षिणपंथी समूहों द्वारा अप्रवासी विरोधी प्रदर्शनों के कारण भड़की है। बीते दिनों में, लिवरपूल, हल, ब्रिस्टल, लीड्स, और मैनचेस्टर जैसे 9 शहरों में बड़े पैमाने पर दंगे हुए हैं, जहां प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया है और पुलिस के साथ झड़पें की हैं।
कहा से हुई शुरुवात ब्रिटेन में हिंसा कि शुरुवात
बता दें कि इस हिंसा की शुरुआत साउथपोर्ट में तीन बच्चियों की हत्या के बाद हुई, जिसने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया। दरअसल, 29 जुलाई को साउथपोर्ट में एक डांस पार्टी के दौरान तीन मासूम लड़कियों की चाकू मार कर हत्या कर दी गयी जिसके बाद एक 17 साल के लड़के को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। बताया गया था की उसके पास से एक चाकू भी बरामद हुआ था। इस गिरफ़्तारी के बाद किसी ने सोशल मीडिया पर यह अफवाह उड़ा दी की लड़का इस्लाम से तालुक रखता था।
इस अफवाह के बात ब्रिटैन के निवासी भड़क गए और वहां रह है शरणाथियों पर हमले करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने शरणार्थियों के लिए बनाए गए होटलों पर पत्थर फेंके, दुकानों को लूटा और कई स्थानों पर आगजनी की। पुलिस ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़ी कार्रवाई की है और अब तक 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालाँकि इन सब में पुलिस पर भी पथराव हुआ है और कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस हिंसा पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए चिंता व्यक्त कि है। साथ ही उन्होंने कहा है कि जो लोग दंगों में शामिल हो रहे हैं, उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि वो चरमपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। गृहमंत्री यवेटे कूपर ने भी चेतावनी दी है कि इस तरह के आपराधिक कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और आरोपी को कड़ी सजा दी जाएगी।
ब्रिटेन में इस समय की स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के कारण कई क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति बिगड़ गई है। सरकार ने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को अधिक अधिकार दिए हैं, ताकि वे बिना किसी हिचकिचाहट के कार्रवाई कर सकें।
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