UP: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों निषाद पार्टी और बीजेपी के रिश्तों को लेकर हलचल तेज हो गई है। कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की। खास बात यह रही कि इस बैठक में उनके बेटे और विधायक अमित निषाद भी मौजूद रहे।
यह मुलाक़ात ऐसे समय में हुई जब कुछ दिन पहले ही संजय निषाद ने मंच से बीजेपी पर नाराजगी जताते हुए गठबंधन तोड़ने तक की धमकी दे डाली थी। ऐसे में यह बैठक केवल शिष्टाचार भेंट नहीं, बल्कि सियासी संदेश देने वाली मुलाक़ात मानी जा रही है।
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UP: सीएम ने निषाद को दिलाया भरोसा
सूत्रों के अनुसार संजय निषाद ने सीएम योगी के सामने हाल में दिए अपने बयानों को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी नाराजगी भाजपा के कुछ नेताओं और कार्यशैली को लेकर है, जबकि गठबंधन की बुनियाद को लेकर वे अभी भी प्रतिबद्ध हैं।
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संजय निषाद को भरोसा दिलाया कि उनकी उठाई गई समस्याओं पर जल्द समाधान किया जाएगा। मुलाक़ात के बाद मीडिया से बातचीत में संजय निषाद ने इसे शिष्टाचार भेंट करार दिया,
कहा कि इसमें निषाद समाज के आरक्षण से जुड़े मुद्दों और बाढ़ के समय मछुआरों को होने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई।
निषाद ने बीजेपी पर किया हमला
यह पूरी सियासी हलचल तब शुरू हुई जब गोरखपुर में निषाद पार्टी के एक कार्यक्रम में संजय निषाद ने बीजेपी पर खुला हमला बोला था। उन्होंने मंच से कहा था कि यदि भाजपा को लगता है कि छोटे दलों से कोई लाभ नहीं मिला है तो वह गठबंधन तोड़ दे।
उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि हमें किसी से भीख मांगने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि आखिर बीजेपी बाहरी नेताओं से निषाद समाज के बारे में गलत बयान क्यों दिलवाती है। उनके इस बयान ने भाजपा खेमे में बेचैनी बढ़ा दी थी।
सभी शिकायतें होगी दूर
जानकारी के मुताबिक, संजय निषाद के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने उन्हें फोन कर बातचीत की और आश्वासन दिया कि उनकी सभी शिकायतों को दूर किया जाएगा।
इसके बाद बीते गुरुवार को उन्होंने प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से भी मुलाक़ात की थी। इन मुलाक़ातों ने साफ कर दिया कि दोनों दल रिश्तों को टूटने की स्थिति में नहीं ले जाना चाहते।
हिस्सेदारी को लेकर दबाव की राजनीति
हालांकि संजय निषाद की नाराजगी इस बात को लेकर है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को अपेक्षित सम्मान और भूमिका नहीं मिली। उन्होंने मंच से कहा था कि अब 2027 के चुनाव में देखा जाएगा कि किसे क्या मिलता है।
इस बयान से यह संदेश गया कि निषाद पार्टी गठबंधन में अपनी हिस्सेदारी और प्रभाव को लेकर दबाव की राजनीति कर रही है।
कुल मिलाकर, संजय निषाद और सीएम योगी की मुलाक़ात ने सियासी हलचल को और रोचक बना दिया है। एक तरफ भाजपा छोटे दलों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ निषाद पार्टी चाहती है कि उसकी राजनीतिक ताकत को नजरअंदाज न किया जाए।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और निषाद पार्टी के बीच यह खींचतान किस अंजाम तक पहुंचती है, लेकिन फिलहाल इस मुलाक़ात ने दोनों दलों के बीच रिश्तों को टूटने से बचाने का काम किया है।