UP: लखीमपुर खीरी के महेवागंज में एक हृदय विदारक घटना सामने आई। यहां एक निजी अस्पताल की लापरवाही से डिलीवरी से पहले ही गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।
मृत शिशु का शव थैले में लेकर पिता विपिन गुप्ता शुक्रवार दोपहर 12 बजे डीएम कार्यालय पहुंच गया। यह दृश्य देखकर अधिकारियों तक की आंखें नम हो गईं।
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UP: पीड़ित ले गया गोलदार अस्पताल
पीड़ित पिता विपिन, भीरा क्षेत्र के नौसर जोगी गांव का निवासी है। उसने अपनी गर्भवती पत्नी रूबी को पहले बिजुआ पीएचसी में भर्ती कराया था,
जहां हालत गंभीर बताकर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसी बीच आशा कार्यकर्ता की सलाह पर रूबी को महेवागंज स्थित गोलदार हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
डॉक्टरों ने भर्ती के समय 25 हजार रुपये मांगे
विपिन का आरोप है कि डॉक्टरों ने भर्ती के समय 25 हजार रुपये मांगे। उसके पास केवल पांच हजार थे, जो उसने जमा कर दिए। इलाज के दौरान पत्नी की हालत बिगड़ने लगी तो नर्स ने रूबी को जबरन बाहर निकाल दिया।
बाद में दूसरे अस्पताल में जांच के दौरान पता चला कि गलत दवा की वजह से बच्चे की पेट में ही मौत हो चुकी है। ऑपरेशन के बाद मृत शिशु को गर्भ से निकाला गया।
बेटे का शव थैले में लेकर पहुंचा DM के पास
बेटे का शव थैले में लेकर जब विपिन डीएम दफ्तर पहुंचा तो रोते-बिलखते उसने अधिकारियों से कहा “साहब, किसी तरह मेरे बच्चे को जिंदा कर दीजिए, वरना मैं इसकी मां को क्या जवाब दूंगा?” यह सुनकर मौजूद अधिकारियों का भी दिल पसीज गया।
घटना की गंभीरता को देखते हुए सीडीओ, सीएमओ और एसडीएम मौके पर पहुंचे और गोलदार हॉस्पिटल को सील कर दिया। वहीं अस्पताल में भर्ती अन्य तीन मरीजों को जिला अस्पताल में शिफ्ट किया गया।
डीएम ने उठाया इलाज का खर्च
डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने प्रसूता रूबी के इलाज का पूरा खर्च खुद वहन करने की घोषणा की और परिवार को भरोसा दिलाया कि प्रशासन पूरी तरह उनके साथ खड़ा है।
सात साल बाद विपिन के घर में खुशियां आने वाली थीं, लेकिन मासूम की मौत ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। उनके घर में पहले से एक सात साल का बेटा है।
अस्पताल को किया सील
अस्पताल संचालक मनीष गुप्ता ने प्रशासन की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए सफाई दी कि मरीज में खून की कमी थी और ऑपरेशन उनके अस्पताल में हुआ ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज से स्थिति साफ हो जाएगी।
फिलहाल अस्पताल सील है और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। प्रशासन का कहना है कि जिले में अवैध अस्पतालों की जांच का अभियान चलाया जाएगा ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।