UNHCR: पहलगाम हमला हो या दिल्ली कार ब्लास्ट भारत में जब भी किसी इस्लामिक आतंकी हमले की चर्चा होती है और लोग उसकी मजहबी मंशा पर सवाल उठाते हैं, तो इसे तुरंत “इस्लामोफोबिया” बताकर असली मुद्दे को दबा दिया जाता है।
इसी को लेकर UN के कुछ सदस्यों ने ऐसा माहौल बना दिया, मानो असली खतरा आतंकवाद नहीं, बल्कि भारत हो।
UNHCR ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने पहलगाम हमले के बाद मीडिया पर बैन, इंटरनेट बंद करने और 8,000 सोशल मीडिया अकाउंट ब्लॉक करने जैसे कदम उठाए जोकि मानवधिकार का उल्लघंन है।
UNHCR: 2800 लोग हिरासत में
UNHCR की रिपोर्ट में 2,800 से अधिक लोगों को हिरासत में लेना, बंदियों को परिवार/वकीलों से मिलने न देने, कथित प्रताड़ना, हिरासत में मौतें, भीड़ हिंसा और कश्मीरी मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव जैसे आरोप भी जोड़े गए।
सबसे अहम बात इस हमले में आतंकियों ने स्पष्ट रूप से हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया, लेकिन UNHCR ने सोशल मीडिया पर इन हमलो पर हुई चर्चा को लेकर अलपसंख्यकों के खिलाफ नफरत बताया।
यहीं नहीं उनका मानना है कि कुछ नेताओं की टिप्पणियां माहौल को और भड़काती हैं।
UN विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि संदिग्ध आतंकियों के परिवारों के घर बिना कोर्ट आदेश गिराए गए। जबकि जमीन पर हुई कार्रवाई केवल आतंकियों के घरों पर थी। उन्होंने कश्मीरी छात्रों की निगरानी को “हैरासमेंट” बताया।
UN विशेषज्ञों ने न पाकिस्तान का नाम लिया, न लश्कर-ए-तैयबा का
टेरर फंडिंग केस में गिरफ्तार इरफान मेहराज और खुर्रम परवेज को उन्होंने “ह्यूमन राइट्स डिफेंडर” बताते हुए रिहाई की मांग की है।
जबकि NIA के रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर घाटी में आतंकियों को फंडिंग करता था और अलगाववादी एजेंडा चलाता था।
सबसे बड़ी बात UN विशेषज्ञों ने न पाकिस्तान का नाम लिया, न लश्कर-ए-तैयबा का, जबकि हमले के पीछे वही थे।
कारवां ने सेना पर लगाया आरोप
हिन्दुओं और भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा के लिए फेमस कारवां मैगजीन ने यूएन के सदस्यों को हवाला देते हुए कहा कि इस साल जून में उसने वही रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जो अब UN विशेषज्ञों ने हाइलाइट की है।
बता दें कि ये वहीं कारवां मैगजीन है भारतीय सेना की छवि खराब करने की कोशिश कर चुका है।
इसने सेना को लेकर कई अफवाहों वाली पोस्ट छापी है। जिसमें भारतीय सेना पर हत्या और यातना के आरोप लगाए गए थे और यह मामला अब भी अदालत में लंबित है।
आख़िर में सच इतना ही है कि पहलगाम जैसे हमलों का दर्द झेलने वाला भारत जब अपनी सुरक्षा मजबूत करता है तो उस पर सवाल उठते हैं, लेकिन पाकिस्तान से चलने वाले जिहादी नेटवर्क पर वही अंतरराष्ट्रीय आवाज़ें चुप हो जाती हैं।
UN विशेषज्ञों के बयान में आतंकियों का नाम तक नहीं लिया गया, लेकिन भारत की हर कार्रवाई पर उंगली उठाई गई, जोकि इनकी दोहरी मानसिकता दिखाती है।

