Jammu and Kashmir and Ladakh High Court: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक ऐसी महिला वकील की बात सुनने से मना कर दिया, जिसने सुनवाई के दौरान अपना चेहरा ढका हुआ था। जज ने नकाब हटाने को कहा कि महिला वकील बोलीं, यह मेरा मौलिक अधिकार है। हाई कोर्ट ने कहा कि महिला वकीलों को चेहरा ढककर कोर्ट में पेश होने की इजाजत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि महिला वकीलों के ड्रेस कोड को लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम है। साथ ही जज ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी कि क्या किसी महिला को चेहरा ढककर किसी मामले की पैरवी करने की इजाजत है।
महिला वकील बोलीं, यह मेरा मौलिक अधिकार
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब खुद को वकील बताने वाली एक महिला चेहरा ढककर हाई कोर्ट में पेश हुई। पहचान के लिए इसे हटाने का आग्रह किए जाने पर उसने जोर देकर कहा कि इस तरह के कपड़ों में पेश होना उसका मौलिक अधिकार है। इसकी वजह से हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को वकीलों के लिए ड्रेस कोड के संबंध में कानूनी और नियम स्थिति की पुष्टि करने का निर्देश दिया। रजिस्ट्रार ने 5 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट एक रिपोर्ट भी पेश की थी।
बीसीआई ने तय किया ड्रेस कोड
रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के अनुसार, वकीलों के लिए तय किए गए ड्रेस कोड में कई दिशा-निर्देश शामिल हैं। इसमें ऊपरी वस्त्रों के लिए महिलाओं को सफेद कॉलर के साथ काले रंग की पूरी आस्तीन वाली जैकेट या ब्लाउज पहनना जरूरी है। इतना ही नहीं सफेद बैंड और वकीलों का गाउन भी पहनना अनिवार्य है। वैकल्पिक तौर पर सफेद ब्लाउज, कॉलर के साथ या बिना कॉलर के सफेद बैंड और काले रंग के खुले कोट के साथ भी इजाजत है।
गाउन पहनना भी जरूरी
इसके साथ ही महिलाएं सफेद, काले या किसी भी हल्के कलर की साड़ी या लंबी स्कर्ट चुन सकती हैं। बशर्ते कि वे प्रिंट या डिजाइन के बिना हों। दूसरे ऑप्शन में सफेद, काले धारीदार या भूरे रंग के फ्लेयर्ड ट्राउजर, चूड़ीदार-कुर्ता, सलवार-कुर्ता या पंजाबी पोशाकें शामिल हैं। इसे सफेद या काले रंग के दुपट्टे के साथ या उसके बिना ही पहने जा सकता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में जब वकील पेश होंगे तो वकील का गाउन पहनना जरूरी है। इसके अलावा गर्मियों के महीने के दौरान सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पेश होने के अलावा काला कोट पहनना जरूरी है।