थाई–कंबोडिया विवाद में नया मोड़: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहे सीमा विवाद ने अब अंतरराष्ट्रीय रूप ले लिया है। 22 दिसंबर 2025 को थाईलैंड की सेना द्वारा
कंबोडिया की सीमा के भीतर स्थित भगवान विष्णु की एक विशाल प्रतिमा को जेसीबी मशीन से तोड़े जाने के बाद विवाद और गहरा गया है।
इस घटना पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है और इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया है।
थाई–कंबोडिया विवाद में नया मोड़: कंबोडियाई सेना ने किया स्थापित
इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि थाई सेना की मौजूदगी में एक एक्सकेवेटर के जरिए विष्णु मंदिर और प्रतिमा को गिराया जा रहा है।
वीडियो सामने आने के बाद भारत सहित कई देशों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
जानकारी के मुताबिक, जिस भगवान विष्णु की प्रतिमा को ध्वस्त किया गया, उसकी ऊंचाई करीब 9 मीटर यानी लगभग 30 फीट थी।
यह प्रतिमा वर्ष 2014 में एक चबूतरे पर स्थापित की गई थी। हैरानी की बात यह है कि इस मूर्ति को 2013 में खुद कंबोडियाई सेना ने उस क्षेत्र में स्थापित कराया था,
जिस पर थाईलैंड अपना दावा करता है। अब उसी क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
थाई सेना ने गिराई मूर्ति
बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा कंबोडिया के प्रसिद्ध प्रेह विहार बॉर्डर से करीब 100 मीटर अंदर स्थित थी।
सीमा विवाद के चलते 22 दिसंबर 2025 को थाई सेना ने इलाके में कार्रवाई करते हुए एक्सकेवेटर से प्रतिमा को गिरा दिया।
घटना के बाद कंबोडिया में नाराजगी फैल गई, वहीं भारत ने इसे अपमानजनक और चिंताजनक बताया है।
भारत ने जताया विरोध
हालांकि थाईलैंड की सेना ने सफाई देते हुए कहा है कि मूर्ति तोड़ने का कारण धार्मिक नहीं बल्कि प्रशासनिक और जमीनी विवाद से जुड़ा है।
थाई सेना का कहना है कि विष्णु जी की यह प्रतिमा उबोन रत्चथानी प्रांत के चोंग आन मा इलाके के पास स्थित थी, जहां सीमा विवाद के साथ-साथ एक कसीनो भी बना हुआ है।
सेना के मुताबिक, जब उन्होंने दोबारा इस इलाके पर नियंत्रण हासिल किया, तो वहां मौजूद अवैध संरचनाओं को हटाना जरूरी हो गया।
इसके बावजूद धार्मिक प्रतीक को इस तरह नष्ट किए जाने से मामला संवेदनशील हो गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना थाईलैंड-कंबोडिया संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता को भी प्रभावित कर सकती है।
भारत द्वारा जताया गया विरोध इस बात का संकेत है कि अब यह विवाद केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीरता से देखा जा रहा है।

