Tegbir Singh: सिर्फ छह साल नौ महीने की उम्र में पंजाब के एक छोटे से बच्चे तेगबीर सिंह ने वो कर दिखाया है जो बड़े-बड़े पर्वतारोहियों का सपना होता है। तेगबीर ने न केवल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुंचने का गौरव हासिल किया,
बल्कि अब रूस की 18,510 फीट ऊंची माउंट एल्ब्रस चोटी पर भी तिरंगा लहराकर नया इतिहास रच दिया है। 20 जून 2025 को उसने चढ़ाई शुरू की और 28 जून को सफलता के शिखर पर खड़ा हो गया।
इस उपलब्धि के साथ वह माउंट एल्ब्रस फतह करने वाला दुनिया का सबसे कम उम्र का पर्वतारोही बन गया है।
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Tegbir Singh: एल्ब्रस की चढ़ाई है हॉर्ड
तेगबीर पंजाब के रोपड़ जिले का रहने वाला है और वहां के एक पब्लिक स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ता है। इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी सफलता हासिल करना सामान्य बात नहीं है।
माउंट एल्ब्रस की चढ़ाई अत्यंत कठिन मानी जाती है, क्योंकि यह इलाका कम ऑक्सीजन वाला है और तापमान अक्सर शून्य से नीचे 10 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। लगातार बर्फ, तेज हवाएं और ऊंचाई के कारण पैदा होने वाली थकावट, इन सब चुनौतियों के बावजूद तेगबीर ने यह मिशन पूरा किया।
फिटनेस, ट्रैकिंग और ट्रेनिंग पर ध्यान
इस सफर में तेगबीर के पिता सुखिंदरदीप सिंह उसके साथ थे। उन्होंने बताया कि तेगबीर ने इस अभियान के लिए एक साल पहले से तैयारी शुरू कर दी थी।
उसके अंदर पर्वतारोहण को लेकर जबरदस्त जुनून है और उसने छोटी उम्र से ही फिटनेस, ट्रैकिंग और ट्रेनिंग पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। इस प्रयास में उसकी मां और स्कूल ने भी पूरा सहयोग दिया।
6 साल के बच्चे ने किया फतेह
रूस के पर्वतारोहण, रॉक क्लाइम्बिंग और स्पोर्ट्स टूरिज्म फेडरेशन ऑफ काबर्डिनो बाल्केरियन रिपब्लिक ने तेगबीर को प्रमाणपत्र जारी कर उसकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि को मान्यता दी है।
यह प्रमाणपत्र इस बात का सबूत है कि एक भारतीय बच्चे ने बेहद कठिन हालात में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का झंडा ऊंचा किया है।
माउंट किलिमंजारो को भी किया फतह
तेगबीर ने इससे पहले अगस्त 2024 में अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को भी फतह किया था और अप्रैल 2024 में वह माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक भी पहुंच चुका है।
तब से ही उसने अपने लक्ष्य को और ऊंचा रखते हुए माउंट एल्ब्रस की चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी थी।
भारत के लिए गर्व
एल्ब्रस की चोटी पर पहुंचने के बाद तेगबीर ने कहा, “मुझे पता था कि कहां पहुंचना है, और मैं वहां पहुंच गया। मैं पहली बार बर्फ पर चला और अपने पापा के साथ फोटो खिंचवाई।” उसकी ये मासूमियत और साहस आज पूरे देश को गर्वित कर रहा है।
तेगबीर सिंह की यह उपलब्धि न सिर्फ भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अगर लगन और मेहनत हो, तो उम्र कोई बाधा नहीं बन सकती। अब उसकी नजर अगली ऊंचाइयों पर है, और देश को उससे और बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद है।