Kanwar Yatra 2024: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा-नेमप्लेट विवाद मामले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मुद्दे पर सोमवार यानि 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में जोरदार बेहेस हुई जिसके बाद अदालत ने कहा है कि दुकानदारों को अपना नाम या पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है बस खाने का प्रकार बताना होगा। उन्हें लोगों को यह बताना होगा की वो शाकाहारी भोजन दे रहे है या मांसाहारी।
दरअसल 19 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने प्रदेश के कावड़ रुट्स पर स्थित सभी खाने पिने की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया था। इन नेमप्लेट पर दुकान के मालिक का नाम और पहचान लिखना था। यह फैसला कावड़ यात्रियों की आस्था को बनाये रखने के लिया गया था।
जिसके बाद कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ एक याचिका दायर की गयी और नेमप्लेट विवाद पर सुनवाई चल रही थी। बहस के दौरान सोमवार को याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कहा कि शिव ढाबा की एक चेन है जिसे कोई भी चला सकता है। फिर चाहे वो सिख हो, मुस्लिम हो या ईसाई।
क्या-क्या दलीले दी गयी
मामले पर सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश वकील सीयू सिंह ने कहा कि यूपी सरकार के इस फैसले का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। कोई भी कानून पुलिस कमिश्नर को इस तरह की शक्तियां नहीं देता। सड़क किनारे चाय की दुकान या ठेला लगाने वाले दुकानदार की ओर से इस तरह की नेमप्लेट लगाने के आदेश से कुछ फायदा नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट का तीन राज्यों को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने ये सभी दलीले सुनने के बाद कावड़िया यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों पर नेमप्लेट लगाने के सरकारी आदेश पर रोक लगा दी है। इस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी भेजा जा चुका है। कोर्ट ने उनसे जवाब माँगा है और सुनवाई की तारीख 26 जुलाई को तय की गयी है।