New Justice Statue: कानून अंधा होगा यह हम सबने अपनी लाइफ में जरूर सुना होगा, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने न्याय की मूर्ति में चेंजेंस करते हुए आंखों से पट्टी हटा दी है औऱ हाथों में तलवार की जगह संविधान दिखाया गया है। मूर्ति में चेंजेंस करने का ऑर्डर खुद CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिया था। इसको लेकर उनका कहना है कि यह मूर्ति आज के हिसाब से नहीं बनी है।
New Justice Statue: IPC के स्थान पर BNS कानून लागू
बता दें इसे ब्रिटिश काल की विरासत को पीछे छोड़ने की तरह देखा जा रहा है। सरकार ने कुछ दिनों पहले IPC के स्थान पर BNS कानून लागू किया गया था। न्याय की देवी अब भारतीय हो गई है औऱ वह साड़ी में नजर आ रही हैं। उनके सिर पर मुकुट और माथे पर बिंदी है। साथ ही कान व गले में ज्वेलरी पहने हुए दिखाया गया हैं। इसके पहले जो मूर्ति थी वो यूनान की देवी से ली गई थी। उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी। हालांकि अब मूर्ति बदल दी गई है।
New Justice Statue: 17वीं शताब्दी में आई भारत
जानकारी के अनुसार 17वीं शताब्दी में एक अंग्रेज अफसर पहली बार इस मूर्ति को लेकर भारत आए थे। यह अफसर एक न्यायालय अधिकारी थे। 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश राज के दौरान न्याय की देवी की मूर्ति का सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल होने लगा। भारत की आजादी के बाद भी हमने इसे प्रतीक के तौर पर अपनाया। उनकी आंखों पर पट्टी बंधी होती थी, जिसका मतलब था कानून सबके साथ एक जैसा व्यवहार करता है। हाथ में तलवार इस बात को दिखाता था कि कानून के पास ताकत है और वो गलत करने वालों को सजा दे सकता है। तराजू का मतलब यह था कि कानून किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों की सुनता है तब फैसला लेता है।