सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: लद्दाख के लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक बीते दिनों लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की गारंटी दिलाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे।
यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ, लेकिन अचानक इसमें हिंसा भड़क गई। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं, जिसके बाद प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया। लेह और आसपास के इलाकों में इंटरनेट की स्पीड कम कर दी गई है, ताकि गलत सूचना न फैले।
Table of Contents
- सोनम वांगचुक पर NSA के तहत कार्रवाई
- कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला
- सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: छठी अनुसूची का वादा और जनता की नाराजगी
- खुफिया एजेंसियों पर उठे सवाल
- विपक्ष की मांग: रिहा हों सोनम वांगचुक
- सरकार की दलील और सुरक्षा व्यवस्था
- लद्दाख आंदोलन क्यों बन रहा है बड़ा मुद्दा?
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: सोनम वांगचुक पर NSA के तहत कार्रवाई
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: प्रशासन ने सोनम वांगचुक को हिंसा का जिम्मेदार ठहराते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया है। अधिकारियों का कहना है कि उनके भाषणों और बयानों से युवाओं में असंतोष फैला और माहौल बिगड़ा। हालांकि, विपक्ष और स्थानीय लोग इस कार्रवाई को अनुचित बता रहे हैं और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन मान रहे हैं।
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने शनिवार (27 सितंबर, 2025) को दिल्ली में प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पूरी तरह “अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण” है।
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: उन्होंने कहा कि जब 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तब सोनम वांगचुक मोदी सरकार के साथ खड़े थे। लेकिन आज उसी शख्स को सरकार ने निशाना बना दिया।
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: छठी अनुसूची का वादा और जनता की नाराजगी
कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार ने पिछले पंचायत चुनावों के समय लद्दाख की जनता से छठी अनुसूची लागू करने का वादा किया था।
लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया। शमा मोहम्मद ने कहा कि इस वादाखिलाफी से जनता में गहरा असंतोष है और सरकार ने अपनी ही बात से मुंह मोड़ लिया है।
खुफिया एजेंसियों पर उठे सवाल
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर उठाया। शमा मोहम्मद ने कहा:
“मोदी सरकार कह रही है कि ये विरोध प्रदर्शन पूर्व नियोजित था, तो फिर लद्दाख जैसे उच्च-खुफिया क्षेत्र में एजेंसियों को इसकी भनक क्यों नहीं लगी?
आखिर अजीत डोभाल क्या कर रहे हैं? अब समय आ गया है कि वे इस्तीफा दें।”
उनका कहना है कि अगर खुफिया एजेंसियां इतनी बड़ी हलचल का अंदाजा नहीं लगा पाईं तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर सवाल खड़ा करता है।
विपक्ष की मांग: रिहा हों सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मांग की है कि सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए। उनका कहना है कि वांगचुक ने हमेशा पर्यावरण और स्थानीय लोगों के हित में काम किया है, ऐसे व्यक्ति पर NSA लगाना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: सरकार की दलील और सुरक्षा व्यवस्था
दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषणों के चलते युवाओं ने आक्रामक रुख अपनाया और कानून-व्यवस्था बिगड़ी।
इसी वजह से उन पर कार्रवाई करनी पड़ी। लेह और आसपास के संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि हिंसा दोबारा न भड़के।
लद्दाख आंदोलन क्यों बन रहा है बड़ा मुद्दा?
सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: लद्दाख में लंबे समय से स्थानीय लोग राजनीतिक प्रतिनिधित्व और अधिकारों की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था।
शुरुआत में लोगों ने इसका समर्थन किया, लेकिन समय के साथ रोजगार, पर्यावरण और राजनीतिक अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर असंतोष बढ़ता गया।
सोनम वांगचुक ने इन्हीं मुद्दों को लेकर आंदोलन छेड़ा, जो अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है।
यह पूरा घटनाक्रम अब सिर्फ लद्दाख तक सीमित नहीं है बल्कि राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन चुका है।
एक ओर केंद्र सरकार वांगचुक पर सख्त कार्रवाई को सही ठहरा रही है, वहीं विपक्ष इसे जनता की आवाज दबाने की कोशिश बता रहा है।

