अक्षत और तुलसीदल के साथ आमंत्रण, तीन दिवसीय होगा उत्सव
पुनौरा धाम में जानकी मंदिर और कॉरिडोर के शिलान्यास को लेकर व्यापक तैयारियाँ चल रही हैं।
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति की संभावना को देखते हुए घर-घर अक्षत और तुलसीदल के साथ आमंत्रण पहुँचाया जा रहा है। राहगीरों को भी आयोजन में आने के लिए निमंत्रण दिया जा रहा है।
इस शिलान्यास कार्यक्रम को तीन दिवसीय महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। जानकी मंदिर की नींव के लिए गंगा, यमुना, सरयू सहित 11 पवित्र नदियों का जल लाया जाएगा।
आयोजन की शाम दीपोत्सव होगा, जिसमें 51,000 दीपों से मंदिर और सीताकुंड परिसर को सजाया जाएगा।
882 करोड़ की परियोजना, मंदिर निर्माण के साथ पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
बिहार कैबिनेट ने पुनौरा धाम के विकास के लिए 882.87 करोड़ रुपए के बजट को स्वीकृति दी है। इसमें 137 करोड़ जानकी मंदिर निर्माण पर, 728 करोड़ पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर और 16.62 करोड़ रुपए अगले 10 वर्षों में रख-रखाव पर खर्च किए जाएँगे। इस प्रोजेक्ट में 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।
मंदिर परिसर के चारों ओर प्रवेश द्वार, विश्राम गृह, यज्ञशाला, भोजनालय, मेडिटेशन सेंटर और प्रवचन हॉल बनाए जाएँगे। साथ ही होटल, संग्रहालय, स्मारक, बगीचे, सीता-वाटिका और लव-कुश वाटिका का भी निर्माण होगा।
श्रद्धालुओं के लिए होंगे सभी आधुनिक इंतजाम, मंदिर तक पहुँचना होगा आसान
श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए मंदिर परिसर में बस टर्मिनल, रेस्ट हाउस, डिजिटल सूचना केंद्र और आधुनिक पार्किंग की योजना बनाई गई है।
चौड़ी सड़कें, स्ट्रीट लाइट्स और सीसीटीवी से सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ और आकर्षक फव्वारे भी बनाए जाएँगे।

यह सबकुछ मंदिर तक पहुँचने को सहज और अनुभव को दिव्य बनाने के लिए किया जा रहा है। इस परियोजना के पूरा होते ही यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन जाएगा।
दशकों की उपेक्षा के बाद नीतीश कुमार ने उठाया बीड़ा
राम जन्मभूमि की तरह ही माता जानकी की जन्मस्थली दशकों तक उपेक्षा की शिकार रही। जबकि यहाँ किसी प्रकार का विवाद नहीं था, फिर भी कोई बड़ा विकास कार्य नहीं हुआ।
अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस ऐतिहासिक भूल को सुधारने का बीड़ा उठाया है।
उन्होंने लगातार पुनौरा धाम का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। 26 जुलाई को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ वह वहाँ पहुँचे और पूजन के साथ तैयारियों की समीक्षा की। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी हाल में यहाँ आ चुके हैं।
जानकी मंदिर का वास्तु और सामग्री राम मंदिर के अनुरूप
इस मंदिर का निर्माण अयोध्या के राम मंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा की देखरेख में होगा।

उनका कहना है कि जानकी मंदिर का स्वरूप राम मंदिर जितना ही भव्य और टिकाऊ होगा। इसके निर्माण में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया जाएगा।
यह पत्थर अत्यधिक टिकाऊ होता है और सदियों तक बिना क्षतिग्रस्त हुए संरचना को मजबूती देता है।
मंदिर की ऊँचाई 151 फीट रखी जाएगी और इसकी आकृति राम मंदिर के समान होगी। मंदिर परिसर की डिजाइन भी राम मंदिर की मास्टर प्लानिंग टीम द्वारा बनाई गई है।
सीतामढ़ी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
पौराणिक मान्यता है कि राजा जनक ने जब अकाल के समय हल चलाया, तब सीता भूमि से प्रकट हुईं।
उसी स्थान पर जानकी कुंड स्थित है जो आज भी मंदिर परिसर में है। राजा जनक ने इस स्थान पर राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ स्थापित की थीं।
समय के साथ यह स्थान जंगल में बदल गया। 500 वर्ष पूर्व अयोध्या से आए संत बीरबल दास को ईश्वरीय प्रेरणा से यह स्थान पुनः प्राप्त हुआ।
उन्होंने जंगल साफ करवाया और मूर्तियों को फिर से स्थापित कर पूजा प्रारंभ की। वर्तमान मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है।
नींव से निर्माण तक – सनातन संस्कृति का नवयुग
इस भव्य प्रकल्प से न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र स्थापित होगा बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक विरासत और आत्मगौरव का प्रतीक भी बनेगा।
नीतीश कुमार का कहना है कि इससे पर्यटन, रोजगार और श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।
8 अगस्त 2025 को जब अमित शाह और नीतीश कुमार इस मंदिर की आधारशिला रखेंगे, तब एक ऐसी सांस्कृतिक पुनर्रचना का आरंभ होगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।
यह नारी-शक्ति की उस परंपरा को स्थापित करेगा जिसकी जननी स्वयं जानकी हैं।