Shoot-At-Sight: असम के धुबरी जिले में उस वक्त तनाव की लहर दौड़ गई जब ईद के बाद हनुमान मंदिर के पास मवेशियों के कटे हुए सिर और मांस के टुकड़े पाए गए। यह घटना न केवल स्थानीय भावनाओं को आहत करने वाली थी, बल्कि इससे सांप्रदायिक तनाव भी तेजी से बढ़ा।
एक के बाद एक लगातार ऐसी घटनाएं सामने आने से इलाके में गुस्सा पनपने लगा और कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन हुए। 8 जून को मंदिर के पास मांस मिलने के विरोध में जब लोग सड़कों पर उतरे, तो स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े।
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Shoot-At-Sight: मंदिर अपवित्र करने वालों को नहीं बख्शेंगे
इस संवेदनशील मामले पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने खुद हस्तक्षेप किया और इसे एक “घृणित और निंदनीय अपराध” करार दिया। उन्होंने कहा, “मंदिरों और पवित्र स्थलों को अपवित्र करने की किसी भी कोशिश के प्रति हमारी जीरो टॉलरेंस नीति है।
जिन लोगों ने कानून अपने हाथ में लिया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।” मुख्यमंत्री ने पुलिस और प्रशासन को साफ निर्देश दिया कि वह सभी संदिग्धों की पहचान करें और उन्हें जल्द गिरफ्तार करें।
धुबरी में “देखते ही गोली मारो” का आदेश
Shoot-At-Sight: स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने धुबरी जिले में रात के समय “देखते ही गोली मारने” का आदेश दे दिया है।
उनके मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति पत्थरबाजी या कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करता है, और उसके इरादे संदिग्ध लगते हैं, तो पुलिस को यह अधिकार है कि वह गोली चला सके।
मुख्यमंत्री का यह निर्देश राज्य में अब तक का सबसे सख्त कदम माना जा रहा है, खासकर तब जब तनाव धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हो।
इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात, सीआरपीएफ और आरएएफ भी मैदान में
मुख्यमंत्री ने हालात की समीक्षा के लिए खुद धुबरी का दौरा किया और सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने का आदेश दिया। अब इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के जवानों की तैनाती कर दी गई है।
साथ ही स्थानीय पुलिस को भी निर्देश दिए गए हैं कि पत्थरबाजी, अफवाह और भड़काऊ तत्वों पर नजर रखी जाए और फौरन कार्रवाई की जाए।
नबीन बांग्ला’ और बीफ माफिया की भूमिका पर मुख्यमंत्री का बड़ा दावा
मुख्यमंत्री सरमा ने इस घटना को सिर्फ एक सांप्रदायिक उकसावे की घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश करार दिया है। उन्होंने एक संगठन ‘नबीन बांग्ला’ द्वारा धुबरी में लगाए गए पोस्टरों की ओर इशारा किया।
जिनमें यह बताया गया कि धुबरी को बांग्लादेश में शामिल करने की कोशिश की जा रही है। सरमा के अनुसार, ये पोस्टर और गतिविधियां इलाके को अस्थिर करने के लिए की गई थीं और इसके पीछे चरमपंथी नेटवर्क काम कर रहे हैं।
Shoot-At-Sight: बीफ तस्करी पर सीएम सरमा की सख्त नजर
हिमंत बिस्वा सरमा ने इस पूरे मामले को बीफ माफिया से भी जोड़ा है। उन्होंने कहा कि “इस बार बकरीद से ठीक पहले हजारों मवेशी पश्चिम बंगाल से लाए गए। धुबरी में अब एक नया बीफ माफिया सक्रिय हुआ है जो त्योहार की आड़ में अवैध व्यापार फैला रहा है।”
उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस मवेशी व्यापार में शामिल सभी लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और इस नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जाए।
मंदिरों को निशाना बनाने वालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस
मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी धार्मिक स्थल को अपवित्र करने की साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे वह किसी भी समुदाय का व्यक्ति हो, राज्य सरकार बिना किसी पक्षपात के कार्रवाई करेगी।
सरमा के मुताबिक, धुबरी की घटना से यह स्पष्ट है कि एक सुनियोजित तरीके से समाज में जहर घोला जा रहा है और ऐसे किसी भी प्रयास को राज्य की पुलिस और प्रशासन कुचल कर रखेगा।
समुदायों से शांति की अपील, लेकिन उपद्रवियों पर नहीं कोई रहम
Shoot-At-Sight: इस बीच राज्य सरकार ने सभी समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है। हालांकि मुख्यमंत्री ने दोहराया कि “शांति का मतलब यह नहीं कि अपराधियों को छोड़ दिया जाए।”
यदि कोई शांति भंग करने की कोशिश करता है या धार्मिक भावना को भड़काता है, तो उसके खिलाफ कानून के तहत सबसे कठोर कार्रवाई की जाएगी।
यह पूरा घटनाक्रम यह बताता है कि असम सरकार, खासकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, राज्य में सांप्रदायिक तनाव और धार्मिक उकसावे को लेकर किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतने वाली।
गोली मारने जैसे आदेश और माफिया नेटवर्क पर सीधी चोट यह दर्शाते हैं कि राज्य में “कानून का शासन” सर्वोपरि रहेगा, चाहे उसके खिलाफ खड़ा कोई भी हो।