Sharmishta Panoli:शर्मिष्ठा पनोली से जुड़ा मामला अब देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी चर्चा का विषय बन चुका है। इसी को लेकर डच नेता गीर्ट वाइल्डर्स ने एक्स पर ट्वीट करते हुए पीएम मोदी से शर्मिष्ठा की मदद की अपील की है।
22 वर्षीय शर्मिष्ठा पनोली, जो पुणे की रहने वाली हैं और पेशे से एक कानून की छात्रा हैं, वर्तमान में भारत की डिजिटल राजनीति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा के केंद्र में आ गई हैं।
शुक्रवार, 30 मई को कोलकाता पुलिस ने उन्हें हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी एक कथित सांप्रदायिक टिप्पणी अपने सोशल मीडिया चैनल पर साझा की थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोलकाता की अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रिया पैदा की है। डच सांसद और दक्षिणपंथी नेता गीर्ट वाइल्डर्स ने शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बताया और सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके समर्थन की अपील की।
वाइल्डर्स ने अपने पोस्ट में लिखा, “बहादुर शर्मिष्ठा पनोली को रिहा करो। उसे पाकिस्तान और धर्म को लेकर कही बातों पर सजा मत दो।”
Table of Contents
Sharmishta Panoli: पवन कल्याण का हस्तक्षेप
Sharmishta Panoli: नीदरलैंड से आई आवाज से पहले भारत में भी इस गिरफ्तारी पर विरोध दर्ज कराया गया। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी (JSP) के प्रमुख पवन कल्याण ने पश्चिम बंगाल पुलिस से इस मामले में न्यायोचित रवैया अपनाने की अपील की।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ईशनिंदा की आलोचना अवश्य होनी चाहिए, लेकिन धर्मनिरपेक्षता को कुछ लोगों के लिए ढाल और दूसरों के लिए तलवार नहीं बनाया जाना चाहिए।
पवन कल्याण ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में कहा, “शर्मिष्ठा ने अपनी गलती स्वीकार की, वीडियो डिलीट की और सार्वजनिक माफी मांगी। इसके बावजूद, तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन जब टीएमसी के नेता सनातन धर्म का खुलेआम मजाक उड़ाते हैं, उसे ‘गंदा धर्म’ कहते हैं, तब न तो गिरफ्तारी होती है और न ही कोई औपचारिक माफी।”
उनका यह बयान इस बात की ओर संकेत करता है कि क्या भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मापदंड सभी के लिए समान है, या यह व्यक्ति और विचारधारा के आधार पर बदलता है।
दोहरे मापदंडों पर बहस
Sharmishta Panoli: शर्मिष्ठा पनोली का मामला मौजूदा समय में भारत की सबसे संवेदनशील बहसों में से एक – धार्मिक असहिष्णुता, राजनीतिक पूर्वग्रह और डिजिटल अभिव्यक्ति की सीमाएं – को पुनर्जीवित करता है। आरोप है कि उन्होंने जिस वीडियो में कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की, वह ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा था — एक ऐसा अभियान जो कथित ‘लव जिहाद’ से जुड़ी घटनाओं के खिलाफ उठाया गया कदम है।
यह मामला तब और जटिल हो जाता है जब यह देखा जाए कि शर्मिष्ठा ने अपनी गलती मानकर माफी भी मांग ली थी। बावजूद इसके, उन्हें न केवल गिरफ्तार किया गया, बल्कि सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ एक संगठित प्रतिक्रिया भी शुरू हो गई।
Sharmishta Panoli: राजनीतिक और वैचारिक ध्रुवीकरण की छाया
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है — क्या यह एक छात्रा की गलती के प्रति कानून का स्वाभाविक उत्तर था, या यह विचारधारात्मक असहमति पर कार्रवाई का उदाहरण है? पवन कल्याण और गीर्ट वाइल्डर्स जैसे नेताओं की टिप्पणियाँ इस बात का संकेत देती हैं कि इस कार्रवाई को कई लोग एकतरफा और असंतुलित मानते हैं।
विशेष बात यह है कि जब किसी अन्य विचारधारा से जुड़े लोग सनातन धर्म को लेकर अपमानजनक बातें कहते हैं, तब उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं होती। यह दोहरापन समाज में आक्रोश और असंतुलन पैदा करता है।
शर्मिष्ठा पनोली का मामला महज़ एक गिरफ्तारी से कहीं ज़्यादा बन चुका है — यह इस बात का प्रतीक बन गया है कि कैसे एक युवा महिला की डिजिटल राय आज के भारत में राजनीतिक और वैचारिक युद्धभूमि में बदल सकती है।
Sharmishta Panoli: यह प्रकरण एक बार फिर देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा और न्याय की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।