शंघाई विवाद: चीन ने मंगलवार को उन आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन कर दिया जिनमें कहा गया था कि अरुणाचल प्रदेश मूल की एक भारतीय महिला यात्री को शंघाई हवाई अड्डे पर परेशान किया गया।
चीन की ओर से यह बयान उस समय आया जब भारतीय नागरिक पेमा वांगजोम थोंगडोक ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी कि उन्हें उनके पासपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश दर्ज होने के कारण लगभग 18 घंटे तक रोककर रखा गया।
इस घटना ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच जारी विवाद को सुर्खियों में ला दिया।
शंघाई विवाद: न कोई उत्पीड़न, न कोई जबरन कार्रवाई
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारतीय महिला के साथ किसी भी तरह का उत्पीड़न, हिरासत या सख्त कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने जोर देकर कहा कि चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने कानून और नियमों के अनुसार ही सभी प्रक्रिया अपनाई और यात्री के अधिकारों की पूरी तरह रक्षा की गई।
माओ निंग के अनुसार, एयरलाइन ने महिला को विश्राम और भोजन की भी व्यवस्था उपलब्ध कराई। उन्होंने कहा कि जो भी कदम उठाए गए, वे पूरी तरह औपचारिक और कानूनी प्रक्रियाओं के अनुरूप थे।
इसके साथ ही उन्होंने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के अपने दावे को दोहराते हुए कहा कि वह क्षेत्र जंगनान या दक्षिण तिब्बत है तथा चीन उसे अपना हिस्सा मानता है।
उन्होंने कहा, भारत द्वारा स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को चीन कभी मान्यता नहीं देता।
अरुणाचल के नाम पर विवाद
पेमा वांगजोम थोंगडोक, जो वर्तमान में ब्रिटेन में रहती हैं, 21 नवंबर को लंदन से जापान के लिए यात्रा कर रही थीं। उनकी फ्लाइट का ट्रांजिट शंघाई में था।
उनका आरोप है कि इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि अरुणाचल प्रदेश को चीन अपनी सीमा का हिस्सा मानता है और ऐसे पासपोर्ट को वह वैध दस्तावेज नहीं मानता।
उनका कहना है कि उन्हें घंटों एक कमरे में बैठाए रखा गया और किसी तरह की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने लिखा कि उन्हें अकेला छोड़ दिया गया और मानसिक रूप से काफी परेशान किया गया।
पेमा ने अपनी एक मित्र के संपर्क के माध्यम से शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास को अपनी स्थिति की जानकारी दी।
दूतावास के अधिकारियों ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें देर रात शहर से बाहर जाने वाली उड़ान में चढ़ने में मदद की।
‘अरुणाचल प्रदेश हमारा अभिन्न हिस्सा’
घटना सामने आने के तुरंत बाद भारत ने बीजिंग और नई दिल्ली दोनों जगह चीन के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया।
सूत्रों के अनुसार भारत ने स्पष्ट किया कि अरुणाचल प्रदेश बिना किसी संदेह के भारतीय क्षेत्र है।
वहां के नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट पर दुनिया में कहीं भी यात्रा करने का पूरा अधिकार है।
भारत ने कहा कि किसी भारतीय पासपोर्ट को जन्मस्थान के आधार पर अवैध बताना “अस्वीकार्य और अनुचित” है।
शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने भी स्थानीय अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को उठाया और यात्री को सहायता प्रदान की।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने घटना को अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन बताया और कहा कि इस तरह का व्यवहार भारतीय नागरिकों की गरिमा पर सीधा प्रहार है।
सीमा विवाद के बीच बढ़ता तनाव
अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन दशकों से आमने-सामने हैं।
भारत साफ करता रहा है कि यह राज्य उसका अभिन्न हिस्सा है, जबकि चीन इसे दक्षिण तिब्बत बताकर दावा करता है।
इसी विवाद के कारण चीन कई बार अरुणाचल प्रदेश के निवासियों के पासपोर्ट, वीज़ा या यात्रा दस्तावेजों को लेकर विवादित रवैया अपनाता रहा है।
शंघाई एयरपोर्ट की यह घटना उसी कड़ी का नया उदाहरण मानी जा रही है।
हालांकि चीन ने इसे एक सामान्य इमिग्रेशन प्रक्रिया बताया है, लेकिन भारत ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है।

