Thursday, December 25, 2025

SC: सुप्रीम कोर्ट की समर वेकेशन शुरू, 80 हजार मामले पेंडिंग

SC: भारत के सर्वोच्च न्यायालय की गर्मियों की छुट्टियां हो गई हैं। ये छुट्टियां 26 मई से शुरू होकर 14 जुलाई तक चलेगी। इस दौरान न्यायालय की नियमित कार्यवाही स्थगित रहेगी और केवल अत्यावश्यक मामलों के लिए अवकाश न्यायपीठ कार्यरत रहेगी।

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अगर बात की जाये तो सुप्रीम कोर्ट में एक आकड़े के मुताबिक लगभग 80 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग चल रहे है। वहीं रोजाना हजारों की संख्या में मामले दर्ज किये जाते है।

SC: लंबित मामले

अक्टूबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में लगभग 80,000 से अधिक मामले लंबित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष के ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान लगभग 5,000-7,000 नए मामले दायर होने की संभावना है, जबकि इस अवधि में निपटाए जाने वाले मामलों की संख्या अत्यंत सीमित रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के अवकाश से लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि अवकाश न्यायपीठ कार्यरत रहेगी, लेकिन यह केवल अत्यावश्यक मामलों तक ही सीमित रहेगी।

अवकाश का कैलेंडर

ग्रीष्मकालीन अवकाश: मई के अंत से जुलाई के मध्य (6-7 सप्ताह)
शीतकालीन अवकाश: दिसंबर के अंत से जनवरी के प्रारंभ (2 सप्ताह)
दशहरा अवकाश: अक्टूबर में 1 सप्ताह
दीपावली अवकाश: अक्टूबर-नवंबर में 1 सप्ताह
होली अवकाश: मार्च में 3-4 दिन

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट एक वर्ष में लगभग 193 दिन कार्य करता है और शेष दिनों में विभिन्न अवकाश और सप्ताहांत शामिल होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के अवकाश का प्रभाव महज न्यायालय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की समग्र न्याय प्रणाली, अर्थव्यवस्था और नागरिकों के जीवन पर भी गहरा असर डालता है।

आर्थिक प्रभाव

कई बड़े व्यापारिक और आर्थिक मामले, जिनमें अरबों रुपये के निवेश और व्यापारिक सौदे शामिल हैं, अवकाश के कारण प्रभावित होते हैं। इससे निवेश निर्णय और बड़ी परियोजनाओं में देरी होती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वाणिज्य चैंबर के अध्यक्ष राजीव मेहता के अनुसार न्यायिक निर्णयों में विलंब से आर्थिक विकास प्रभावित होता है। कई निवेशक और व्यापारिक संस्थाएं महत्वपूर्ण फैसलों के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की प्रतीक्षा करते हैं।

सामाजिक और संवैधानिक प्रभाव

मौलिक अधिकारों, जनहित याचिकाओं और संवैधानिक मामलों में विलंब से समाज के कमजोर वर्गों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रीति गुप्ता कहती हैं, न्याय में देरी का अर्थ है कि कई लोगों को अपने अधिकारों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, जिससे उनके जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

अवकाश के दौरान व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट के अवकाश के दौरान केवल कुछ अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई के लिए अवकाश न्यायपीठ की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा, COVID-19 महामारी के बाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी कुछ मामलों की सुनवाई की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव के अनुसार अवकाश न्यायपीठ का उद्देश्य अत्यावश्यक मामलों में न्याय सुनिश्चित करना है, लेकिन इसकी क्षमता सीमित है और यह सभी प्रकार के मामलों को नहीं संभाल सकती।

जैसे-जैसे सुप्रीम कोर्ट अपने ग्रीष्मकालीन अवकाश की तैयारी कर रहा है, न्यायिक प्रणाली में सुधार की मांग बढ़ती जा रही है। नागरिक समाज, कानूनी समुदाय और सरकार के बीच सहयोग से ही ऐसे समाधान विकसित किए जा सकते हैं जो न्यायाधीशों के कल्याण और समय पर न्याय प्रदान करने के लक्ष्य दोनों को संतुलित करें।

इस बीच नागरिकों और कानूनी पेशेवरों को अवकाश के दौरान होने वाले विलंब के लिए तैयार रहना होगा और जरूरत पड़ने पर वैकल्पिक विवाद समाधान के तरीकों पर विचार करना होगा।

बच्चों को मिलती है गर्मियों की छुट्टी

अक्सर गर्मियों की छुट्टियां बच्चों को गर्मियों से बचाने के लिए दी जाती हैं। क्योंकि गर्मियां बच्चे नहीं झेल सकते। उन्हें सर्दियों से बचाने के लिए भी सर्दियों की छुट्टियां दी जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट समेत सारे कोर्ट भी गर्मी और सर्दी से बचने के लिए गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी पर जाते हैं।

देश के अन्य प्रोफेशन्स, जैसे टीचरों को छोड़कर अन्य सरकारी नौकरियां, सारे निजी व्यवसाय, इंजीनियरिंग, फाइनेंस, बैंकिंग आदि किसी भी क्षेत्र में वयस्कों के लिए गर्मी की छुट्टियां नहीं होती हैं।

यहां तक कि नेता और आईएएस भी गर्मियों की छुट्टी नहीं लेते। ऐसे में सवाल उठता है कि कोर्ट और जज इतने ज्यादा केसेज पेंडिंग होने के बावजूद भी गर्मियों की छुट्टी क्यों लेते हैं, क्या उन्हें लू लग जाती है। अक्सर जज और कोर्ट कर्मचारी इस समय घूमने जाते हैं। अंग्रेजों के समय से यह चला आ रहा है।

Madhuri
Madhurihttps://reportbharathindi.com/
पत्रकारिता में 6 वर्षों का अनुभव है। पिछले 3 वर्षों से Report Bharat से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले Raftaar Media में कंटेंट राइटर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। Daily Hunt के साथ रिपोर्टर रहीं और ETV Bharat में एक वर्ष तक कंटेंट एडिटर के तौर पर काम किया। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और एंटरटेनमेंट न्यूज पर मजबूत पकड़ है।
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