Wednesday, December 24, 2025

Satyajit Ray: बांग्लादेश ने भारतीय निर्देशक सत्यजीत रे का घर तोड़ा, भारत ने रोकने का किया आग्रह

Satyajit Ray: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भारतीय सिनेमा के स्तंभ माने जाने वाले फिल्मकार सत्यजीत रे का पैतृक मकान अब इतिहास बन चुका है। करीब 100 साल पुरानी इस इमारत को हाल ही में ढहा दिया गया,

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जिससे न केवल भारत बल्कि बंगाल की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी भावनाओं को गहरा आघात पहुंचा है। यह वही मकान था जिसे सत्यजीत रे के दादा, प्रसिद्ध लेखक और प्रकाशक उपेंद्र किशोर रे चौधरी ने बनवाया था।

बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व वाली इस संपत्ति को गिराए जाने से पहले भारत सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए इस घर को म्यूजियम में बदलने की पेशकश की थी, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया।

Satyajit Ray: दशकों से वीरान

बताया गया कि यह भवन पिछले एक दशक से वीरान पड़ा था और नशेड़ियों का अड्डा बन गया था। जिला बाल कल्याण अधिकारी मोहम्मद मेहदी जमान के अनुसार,

इस घर की हालत बेहद खराब थी और कभी इसमें संचालित होने वाली ‘मैमनसिंह शिशु अकादमी’ को भवन की जर्जर स्थिति के कारण बंद करना पड़ा।

अब प्रशासन इस जगह पर बच्चों के लिए एक नई आधुनिक इमारत बनाना चाहता है जिसमें कई कमरे होंगे और वह अकादमी फिर से शुरू की जाएगी।

बंगाल में नाराजगी

इस घटना ने बंगाल और भारत के सांस्कृतिक हलकों में नाराजगी फैला दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर गंभीर चिंता जताई और बांग्लादेश सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, यह सिर्फ एक पुरानी इमारत का टूटना नहीं, बल्कि एक पूरे इतिहास और सांस्कृतिक पहचान का सफाया है।” उन्होंने इसे बंगाली विरासत पर एक और झटका बताया।

ममता ने जताया दुख

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि सत्यजीत रे का यह घर न केवल एक इमारत थी, बल्कि बंगाल की आत्मा से जुड़ी एक सांस्कृतिक धरोहर थी।

ममता बनर्जी ने पहले भी बांग्लादेश और भारत सरकार दोनों से इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित करने की अपील की थी, लेकिन वह अपील अनसुनी रह गई।

यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में किसी भारतीय सांस्कृतिक विरासत को मिटाया गया है। इससे पहले भी नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का घर ढहा दिया गया था,

जिसे लेकर काफी विरोध हुआ था। टैगोर का घर भी बांग्लादेश की जमीन पर स्थित था और उसे भी संरक्षण की मांगों के बावजूद मिटा दिया गया था।

सत्यजीत रे और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महापुरुषों से जुड़े स्थलों का इस तरह से गायब होना केवल ईंट-पत्थर का नुकसान नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक स्मृति और विरासत पर गहरी चोट है।

ऐसे स्थलों को बचाना केवल एक देश का कर्तव्य नहीं, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशिया की साझा जिम्मेदारी है।

Madhuri
Madhurihttps://reportbharathindi.com/
पत्रकारिता में 6 वर्षों का अनुभव है। पिछले 3 वर्षों से Report Bharat से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले Raftaar Media में कंटेंट राइटर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। Daily Hunt के साथ रिपोर्टर रहीं और ETV Bharat में एक वर्ष तक कंटेंट एडिटर के तौर पर काम किया। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और एंटरटेनमेंट न्यूज पर मजबूत पकड़ है।
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