Friday, December 26, 2025

शराब की सेफ लिमिट सिर्फ एक मिथक है: भारतीय स्टडी ने खोली मुंह के कैंसर की सच्चाई

शराब की सेफ लिमिट सिर्फ एक मिथक है: कई बार जब शराब के नुकसान की बात होती है, तो जवाब मिलता है—“इतनी-सी मात्रा से क्या फर्क पड़ता है?” कुछ लोग तो यह तक कह देते हैं कि रोज़ का एक छोटा पेग सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं होता।

लेकिन कैंसर पर की गई एक नई भारतीय रिसर्च इस सोच की जड़ पर ही सवाल खड़े कर देती है। यह अध्ययन बताता है कि शराब का सेवन, चाहे सीमित ही क्यों न हो, मुंह के कैंसर के खतरे को चुपचाप बढ़ाता जाता है।

भारत में पुरुषों के बीच मुंह का कैंसर एक गंभीर और तेजी से बढ़ती समस्या बन चुका है। अब तक इसका सबसे बड़ा कारण तंबाकू माना जाता रहा है, लेकिन मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर की ताज़ा स्टडी ने तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है।

शराब की सेफ लिमिट सिर्फ एक मिथक है: शोध के अनुसार, भारत में मुंह के कैंसर के लगभग 62 प्रतिशत मामलों में शराब एक अहम वजह के तौर पर सामने आई है। अगर शराब के साथ तंबाकू भी लिया जाए, तो यह खतरा और भी खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।

यह रिसर्च कब और किस पर की गई?

शराब की सेफ लिमिट सिर्फ एक मिथक है: यह अध्ययन दिसंबर 2025 में इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल BMJ Global Health में प्रकाशित हुआ। रिसर्च 2010 से 2021 के बीच की गई, जिसमें कुल 3706 पुरुषों को शामिल किया गया।

इनमें 1803 ऐसे लोग थे जिन्हें मुंह का कैंसर था, जबकि 1903 ऐसे प्रतिभागी थे जो पूरी तरह स्वस्थ थे। सभी डेटा टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई और ACTREC, खारघर से जुटाए गए।

स्टडी के चौंकाने वाले निष्कर्ष

शराब की सेफ लिमिट सिर्फ एक मिथक है: रिसर्च में यह साफ हुआ कि शराब का ब्रांड या किस्म कोई फर्क नहीं डालती। बियर, व्हिस्की, वाइन या देसी शराब जैसे महुआ, ताड़ी और ठर्रा-हर तरह की शराब मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाती है।

सबसे अहम बात यह है कि दिन में सिर्फ 9 ग्राम शराब, जिसे एक स्टैंडर्ड ड्रिंक माना जाता है, लेने से ही कैंसर का जोखिम करीब 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यहां तक कि बहुत कम मात्रा में बियर पीने वालों में भी खतरे में बढ़ोतरी देखी गई।

स्टडी के मुताबिक, भारत में मुंह के कैंसर के करीब 17 प्रतिशत मामले केवल शराब की वजह से होते हैं। तंबाकू उत्पादों जैसे गुटखा और खैनी के कारण यह आंकड़ा लगभग 37 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।

वहीं जो लोग शराब और तंबाकू दोनों का सेवन करते हैं, उनमें खतरा 4 से 5 गुना तक बढ़ जाता है और कुल 62 प्रतिशत मामले इसी श्रेणी में आते हैं।

शराब की सेफ लिमिट सिर्फ एक मिथक है: शरीर में शराब कैसे बनती है ज़हर?

शराब पीने के बाद शरीर में एसिटाल्डिहाइड नाम का एक जहरीला तत्व बनता है, जो डीएनए को नुकसान पहुंचाता है। भारत में बड़ी आबादी में ऐसे जीन पाए जाते हैं जो शराब को धीरे-धीरे तोड़ते हैं। इसका मतलब यह है कि यह जहरीला केमिकल शरीर में ज्यादा देर तक बना रहता है और कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

डॉक्टरों की सीधी चेतावनी

शराब की सेफ लिमिट सिर्फ एक मिथक है: टाटा मेमोरियल सेंटर में हेड एंड नेक कैंसर विभाग के प्रमुख डॉ. पंकज चतुर्वेदी के अनुसार, शराब को दुनिया भर में ग्रुप-1 कार्सिनोजेन यानी सीधे कैंसर पैदा करने वाले तत्वों की श्रेणी में रखा गया है।

उनका कहना है कि भारत में तंबाकू को लेकर तो सख्त कानून हैं, लेकिन शराब के मामले में नीति स्तर पर गंभीरता की कमी है। सेलिब्रिटी और सरोगेट विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए। “थोड़ी शराब सुरक्षित है”—यह दावा पूरी तरह गलत है, क्योंकि शराब की कोई सुरक्षित मात्रा नहीं होती।

मुंह के कैंसर के शुरुआती संकेत

अगर मुंह में कोई घाव या छाला दो हफ्ते तक ठीक न हो,
होंठ या मुंह के अंदर लाल या सफेद धब्बे दिखें,
मुंह या गर्दन में गांठ महसूस हो,
निगलने या बोलने में दिक्कत आने लगे,
या मुंह से बदबू या खून आने लगे—
तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

बचाव ही सबसे बड़ा इलाज

मुंह के कैंसर से बचने का सबसे असरदार तरीका है शराब और तंबाकू से पूरी तरह दूरी बनाना। इसके अलावा गुटखा, खैनी, पान मसाला और सुपारी से बचें, मुंह की साफ-सफाई पर ध्यान दें, नियमित डेंटल चेकअप कराएं और फल-सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार अपनाएं।

यह स्टडी एक साफ संदेश देती है—शराब को लेकर किया गया “सेफ लिमिट” का दावा सिर्फ एक भ्रम है, जिसकी कीमत सेहत को चुकानी पड़ सकती है।

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Karnika Pandey
Karnika Pandeyhttps://reportbharathindi.com/
“This is Karnika Pandey, a Senior Journalist with over 3 years of experience in the media industry. She covers politics, lifestyle, entertainment, and compelling life stories with clarity and depth. Known for sharp analysis and impactful storytelling, she brings credibility, balance, and a strong editorial voice to every piece she writes.”
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