Right to Education: छह से चौदह साल की उम्र के सभी बच्चों को नजदीक के स्कूल में निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराने से जुड़े आरटीई ( राइट टू एजुकेशन ) कानून को लागू हुए करीब 15 साल होने को हैं, लेकिन अभी भी गैर भाजपा शासित 4 राज्य पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल और तेलंगाना ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने इस कानून को नहीं अपनाया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी और राज्यों से अपील की कि वह गरीब व कमजोर वर्गों के बच्चों के हितों का ध्यान में रखते हुए इसे जल्द से जल्द लागू करें।
गरीब बच्चों के लिए बना है आरटीई कानून
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान आरटीई को लेकर आप और कांग्रेस की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि गरीब बच्चों के लिए निजी स्कूलों में दाखिले के लिए सरकार ने आरटीई कानून बनाया है, लेकिन पंजाब, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और केरल इसे लागू नहीं कर रहे है। इससे गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नहीं मिल रहा है।
बड़ी कक्षाओं में नामांकन दर में गिरावट
आरटीई कानून के तहत निजी स्कूलों में गरीब व कमजोर बच्चों के लिए प्रत्येक कक्षा में उसकी कुल क्षमता का कम से कम 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी जाती है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी एक पूरक प्रश्न किया, जिसका जवाब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिया और कहा कि स्कूली शिक्षा का नामांकन दर प्राथमिक स्तर पर तो शत प्रतिशत है, लेकिन जैसे-जैसे यह बड़ी कक्षाओं की ओर बढ़ता है, उनमें गिरावट आने लगती है। राज्यों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
शिक्षा राज्य मंत्री ने की यह अपील
शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि हम सदन के जरिए अभी तक आरटीई कानून लागू न करने वाले उन सभी चारों राज्यों से अपील करते है, कि गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को ध्यान में रखते हुए इसे तुरंत अपनाए। मंत्री चौधरी ने बताया कि देश के कई राज्यों ने इसे लेकर नियम बनाए भी है और वह अपने स्तर पर काम कम रहे है। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) का यह कानून 2029 में बना था।