Tuesday, September 9, 2025

Skin cancer: आखिर क्यों, गोरे लोगों में स्किन कैंसर का खतरा होता है सबसे ज्यादा

Skin cancer: दुनिया भर में कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इनमें त्वचा कैंसर, खासकर मेलेनोमा, एक गंभीर चुनौती बनकर सामने आया है।

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खासतौर पर गोरी त्वचा वाले लोगों (fair-skinned population) में स्किन कैंसर का खतरा सबसे अधिक पाया जाता है।

रिसर्च में स्पष्ट किया है कि त्वचा का रंग, मेलानिन की मात्रा और पराबैंगनी (UV) किरणों का सीधा संबंध स्किन कैंसर से है।

Skin cancer: मेलानिन करता है स्कीन को प्रोटेक्ट

मेलानिन त्वचा का प्राकृतिक रंग है जो UV किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है। गहरी त्वचा वाले लोगों में मेलानिन अधिक होता है,

जो एक तरह से प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह काम करता है और DNA को होने वाले नुकसान को लगभग तीन गुना तक कम कर देता है।

वहीं गोरे लोगों की त्वचा में मेलानिन की मात्रा काफी कम होती है, जिसके कारण उनकी त्वचा आसानी से जल जाती है और कैंसर कोशिकाओं के बनने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

गोरे लोगों में मेलानिन होता है कम

इसके पीछे जेनेटिक कारण भी अहम हैं। MC1R नामक जीन, जो मेलानिन उत्पादन से जुड़ा है, गोरी त्वचा वाले लोगों में अक्सर कमजोर पाया जाता है। इस वजह से पर्याप्त मेलानिन नहीं बन पाता और UV किरणों से सुरक्षा कमजोर हो जाती है।

यही कारण है कि गोरी त्वचा वाले लोगों में मेलेनोमा जैसे खतरनाक स्किन कैंसर का खतरा अधिक होता है।

धूप हो रही खतरनाक साबित

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के अनुसार, साल 2022 में दुनियाभर में लगभग 3.32 लाख नए मेलेनोमा मामले सामने आए, जिनमें से करीब 2.67 लाख UV किरणों की वजह से थे।

यह आंकड़ा बताता है कि धूप में ज्यादा समय बिताना, बिना सुरक्षा के टैनिंग करना और ओज़ोन परत की कमी सीधा स्किन कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।

गोरे लोगों में स्किन कैंसर का जोखिम काले और भूरे रंग की त्वचा वालों से कई गुना ज्यादा

अमेरिका के National Cancer Institute की एक रिपोर्ट (2020) ने भी यह साबित किया कि गोरे लोगों में स्किन कैंसर का जोखिम काले और भूरे रंग की त्वचा वालों से कई गुना ज्यादा है।

शोध में पाया गया कि Caucasian आबादी में मेलेनोमा का lifetime risk लगभग 2.6% है, जबकि अफ्रीकी और एशियाई मूल के लोगों में यह दर 0.1% से भी कम है।

यह अंतर स्पष्ट करता है कि त्वचा के रंग और मेलानिन की मात्रा स्किन कैंसर की संभावना पर गहरा असर डालते हैं।

अमेरिका में लगभग 200,340 नए मेलेनोमा मामले दर्ज किए गए

ताजा आंकड़े भी यही दर्शाते हैं। AIM at Melanoma Foundation के मुताबिक, 2024 में अमेरिका में लगभग 200,340 नए मेलेनोमा मामले दर्ज किए गए। वहीं, 2025 के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में करीब 104,960

नए invasive melanoma केस और 107,240 melanoma in situ केस सामने आ सकते हैं, जिनसे लगभग 8,430 मौतें होने की आशंका जताई गई है।

कुल मिलाकर, गोरे लोगों में स्किन कैंसर अधिक होने की मुख्य वजह उनकी त्वचा में मौजूद मेलानिन की कमी है। यह कमी उन्हें UV विकिरण से मिलने वाले DNA नुकसान के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बना देती है।

इसके अलावा, जेनेटिक फैक्टर और लगातार सूरज की किरणों का असर इस खतरे को और बढ़ा देता है। शोधों ने यह भी सिद्ध किया है कि 80% से ज्यादा मेलेनोमा मामले सीधे तौर पर UV एक्सपोजर से जुड़े होते हैं।

Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
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