राम मंदिर: अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है और यहां भक्तों की सुविधा को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है।
लाखों श्रद्धालु हर दिन रामलला के दर्शन के लिए आते हैं, ऐसे में मंदिर प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि दर्शन और परिक्रमा के दौरान भीड़ को कैसे सुचारु रूप से नियंत्रित किया जाए।
अब इस समस्या का समाधान मिल गया है। मंदिर परिसर में एक विशेष सुरंग का निर्माण किया गया है जिसकी वजह से श्रद्धालुओं की परिक्रमा यात्रा और भी आसान और सुरक्षित हो जाएगी।
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राम मंदिर: रामलला के दर्शनों के बाद आसान होगी परिक्रमा
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में अब भक्त रामलला के दर्शन करने के बाद सीधे परिक्रमा पथ की ओर जा सकेंगे।
नई सुरंग इस तरह बनाई गई है कि दर्शनों के बाद श्रद्धालुओं को बिना भीड़भाड़ और धक्का-मुक्की के निकास द्वार तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी।
मंदिर की पूरब दिशा में 200 मीटर लंबी यह सुरंग भक्तों को मुख्य द्वार के नीचे से निकालते हुए सीधा निकास द्वार तक पहुंचाती है।
इस अनोखी व्यवस्था के बाद यह देश का पहला मंदिर बन गया है जहां मुख्य द्वार के नीचे से होकर श्रद्धालु भूमिगत रास्ते से बाहर निकल सकेंगे।
परिक्रमा पथ से जुड़ेगी नई सुरंग
मंदिर के सिंह द्वार से प्रवेश करने के बाद श्रद्धालु परकोटे के मुख्य द्वार से अंदर आएंगे और वहीं से इस भूमिगत सुरंग का रास्ता मिलेगा। सुरंग का सीधा संबंध 800 मीटर लंबे परिक्रमा पथ से है।
इस परिक्रमा पथ पर एक साथ एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु चल सकेंगे। यह संख्या बताती है कि मंदिर प्रबंधन ने भक्तों की सुविधा के लिए कितनी बड़ी और आधुनिक व्यवस्था तैयार की है।
सुरंग का डिजाइन और निर्माण
सुरंग का निर्माण बेहद मजबूत और कलात्मक शैली में किया गया है। इसकी चौड़ाई 20 फ़ीट रखी गई है और इसे परकोटे की सतह से 16 फ़ीट नीचे बनाया गया है।
सुरंग में श्रद्धालुओं के लिए 14 फ़ीट का मुख्य रास्ता है, जबकि 6 फ़ीट का हिस्सा हवा और वेंटिलेशन के लिए छोड़ा गया है
ताकि अंदर भी श्रद्धालु आसानी से सांस ले सकें और किसी तरह की घुटन महसूस न हो।
इस सुरंग को 2.7 टन वजनी नक्काशीदार पत्थरों से बनाया गया है। दीवारों और छत पर की गई सजावट मंदिर की पारंपरिक थीम और शिल्पकला से मेल खाती है,
जिससे श्रद्धालु चलते-चलते भी भक्ति और अध्यात्म का अनुभव कर सकेंगे।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का खास ध्यान
इस सुरंग का निर्माण केवल भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ही नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी किया गया है।
एक साथ लाखों भक्त जब मंदिर में आते हैं तो धक्का-मुक्की और अव्यवस्था की संभावना बढ़ जाती है।
भूमिगत सुरंग इस समस्या का समाधान है क्योंकि अब श्रद्धालु बिना रुकावट अपनी परिक्रमा पूरी कर सकेंगे और सुरक्षित रूप से बाहर भी निकल पाएँगे।
अयोध्या में बढ़ेगा श्रद्धालुओं का अनुभव
रामलला के भव्य मंदिर में यह सुरंग सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनेगी। जैसे-जैसे मंदिर परिसर में नई-नई सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, वैसे-वैसे यहां आने वाले भक्तों का अनुभव और भी विशेष होता जा रहा है।
आने वाले समय में अयोध्या का यह मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र होगा बल्कि आधुनिक व्यवस्थाओं से सुसज्जित ऐसा स्थल भी बनेगा। जहां परंपरा और तकनीक का अद्भुत संगम दिखाई देगा।