Sunday, May 25, 2025

Rajasthan News: भरतपुर में बनेगा अत्याधुनिक बायोलॉजिकल पार्क, जानें कैसा होगा यह जैविक उद्यान?

Rajasthan News: पक्षियों की अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाला राजस्थान का शहर भरतपुर अब बड़े वन्यजीवों का भी ठिकाना बनने की ओर बढ़ रहा है।

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राज्य सरकार यहां अत्याधुनिक जैविक उद्यान (बायोलॉजिकल पार्क) स्थापित करने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) की विशेषज्ञ टीम इसी सप्ताह भरतपुर पहुंचकर दो प्रस्तावित स्थलों का निरीक्षण करेगी।

निरीक्षण के बाद अंतिम रूप से एक स्थान का चयन कर निर्माण कार्य आरंभ किया जाएगा। इस जैविक उद्यान को विकसित करने के लिए अनुमानित लागत लगभग 70 करोड़ रुपये आंकी गई है। प्रस्तावित उद्यान का क्षेत्रफल 35 से 50 हेक्टेयर तक होगा।

पार्क में होंगे 20 से अधिक प्रजातियों के वन्य जीव

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास मलाह क्षेत्र और बयाना के बंध बारैठा इलाके की जमीनों को जैविक उद्यान के लिए प्रस्तावित किया है। इन दोनों स्थानों का गहन सर्वे कर प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है।

घना पक्षी विहार के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि प्राकृतिक जल स्रोत वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि थलचर और जलीय जीवों के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

निदेशक के अनुसार पार्क में शेर, बाघ, तेंदुआ, घड़ियाल, मगरमच्छ समेत 20 से अधिक प्रजातियों के वन्य जीव आकर्षण का केंद्र होंगे। इसके अलावा उन दुर्लभ जीवों का भी पुनर्वास किया जाएगा जो पहले इस क्षेत्र में पाए जाते थे लेकिन अब विलुप्त हो गए हैं।

भरतपुर को मिलेगा एक नया पर्यटन केंद्र

जैविक उद्यान के निर्माण से भरतपुर को एक नया पर्यटन केंद्र मिलेगा। वर्तमान में केवलादेव पक्षी विहार, लोहागढ़ किला और भरतपुर संग्रहालय प्रमुख आकर्षण हैं, लेकिन नए उद्यान से भरतपुर का पर्यटन परिदृश्य और समृद्ध होगा।

इसका सीधा लाभ स्थानीय होटल व्यवसाय, गाइड सेवाओं और व्यापारियों को मिलेगा। सेंट्रल जू अथॉरिटी की टीम मलाह और बंध बारैठा दोनों स्थानों की भूमि की उपयुक्तता की जांच करेगी।

विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रस्तावित स्थल वन्यजीवों के लिए सुरक्षित, अनुकूल और दीर्घकालिक रूप से व्यावहारिक हो। उनकी सिफारिशों के आधार पर ही स्थल का अंतिम चयन और निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

भरतपुर का यह जैविक उद्यान परियोजना न केवल वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी, बल्कि यह क्षेत्रीय पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा अवसर बनकर उभरेगा।

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