Rajasthan: राजस्थान में धर्मांतरण का एक बहुत ही सुनियोजित और खतरनाक नेटवर्क काम कर रहा है, जो गरीब, अशिक्षित और लाचार लोगों को निशाना बना रहा है। पैसों, इलाज, शादी-ब्याह या नौकरी के लालच में लोगों को बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।
हाल के दिनों में राज्य के अलग-अलग हिस्सों से जो घटनाएं सामने आई हैं, उन्होंने इस पूरे षड्यंत्र की परतें खोल दी हैं।
Rajasthan: मंजा ने की आत्महत्या
खैरथल की मंजा की आत्महत्या ने इस गंभीर समस्या को पूरे प्रदेश के सामने लाकर रख दिया है। मंजा की शादी हिंदू रीति-रिवाजों से लक्ष्मण नामक युवक से हुई थी, लेकिन शादी के बाद उसे पता चला कि उसका पति ईसाई बन चुका है और अब वह मंजा पर भी धर्म बदलने का दबाव बना रहा है।
मंजा ने न केवल इस दबाव का विरोध किया, बल्कि आत्महत्या करने से पहले एक वीडियो में पूरी सच्चाई बयां की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि धर्मांतरण का खेल कितना गहरा और दर्दनाक है।
प्रदेश में हर जगह चल रहा धर्मांतरण का केस
हनुमानगढ़ से भी ऐसा ही मामला सामने आया, जहां पर 3-4 पादरियों द्वारा करीब 20 लोगों को एक जगह इकट्ठा कर डुबकी दिलवाई गई और धर्म परिवर्तन कराया गया। इन सबको ‘चमत्कारी जीवन’ का सपना दिखाकर ईसाई बनाने का प्रयास किया गया।
वहीं भरतपुर में 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन पर हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने और उनके बदले में 10,000 रुपये देकर ईसाई धर्म प्रचारित करने का आरोप लगा।
भोज के बहाने कन्वर्जन
कोटा से भी एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां पर दो अमेरिकी नागरिकों ने भील समुदाय के लोगों को भोज देकर ईसाई धर्म अपनाने को कहा। यही नहीं, जिन लोगों ने धर्म बदला, उन्हें घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता तक दी गई।
यह मामला न सिर्फ विदेशी दखल को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धर्मांतरण अब एक अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के तहत चलाया जा रहा है।
लोगों को किया जाता है भ्रमित
इतना ही नहीं, इस पूरे नेटवर्क में लोगों की भावनाओं और विश्वास से भी खेला जा रहा है। उदाहरण के लिए, किसी विकलांग व्यक्ति को व्हीलचेयर पर मंच तक लाया जाता है और फिर प्रार्थना के बाद उसे दौड़ते हुए दिखाया जाता है,
जिससे आम जनता को भ्रमित किया जा सके कि यह किसी चमत्कार का नतीजा है। कई बार बीमार लोगों को भूखा रखकर चर्च में घंटों प्रार्थना करवाई जाती है, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ जाती है कुछ मामलों में तो जान तक चली जाती है।
देश का सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान पर हमला
यह पूरा तंत्र गरीबों और मजबूरों को निशाना बनाकर धार्मिक असंतुलन पैदा करने की साजिश रच रहा है। समाज में भ्रम फैलाकर, बीमारी और बेरोजगारी की हालत में फंसे लोगों को ‘ईश्वर की कृपा’ के नाम पर बहलाया जा रहा है।
इस पूरे खेल की जड़ में लालच, छल, और एक गहरी साजिश छुपी हुई है, जो सिर्फ धर्म परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक पहचान पर भी हमला कर रही है।
अब जरूरत है कि सरकार, पुलिस और समाज मिलकर इस गंदे खेल पर सख्त कार्रवाई करें और जनता को जागरूक बनाएं। धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है,
लेकिन लालच और धोखे से करवाया गया धर्म परिवर्तन एक अपराध है और राजस्थान के ताजा मामले यही सच्चाई उजागर कर रहे हैं।
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