Rajasthan by-election: राजस्थान में उप चुनाव की बिसात पूरी तरह से बिछ चुकी है। अब चुनाव प्रचार की बारी आ चुकी है। फिलहाल दिपावली के कारण सातों सीटों पर उप चुनाव का प्रचार करने पार्टियों के बड़े नेता नहीं पहुंच रहे थे, लेकिन अब सोमवार (4 नवंबर, 2024) से बड़ी सभाएं और रैलियां आयोजित होने लगेंगी। यह उप चुनाव भाजपा, कांग्रेस के साथ ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और भारत आदिवासी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव है। भाजपा-कांग्रेस जहां सातों सीट जीतने का दावा कर रही है तो आरएलपी खींवसर और बीएपी की निगाहें सलूंबर-चौरासी सीट पर है।
दरअसल, दीपावली के कारण चुनाव प्रचार तेज नहीं हो पाया था। हालांकि चारों पार्टियों ने ही अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए बड़ी नामांकन सभाएं की थी। भाजपा की ओर से खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नामांकन सभाएं की तो कांग्रेस में पूर्व सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ ही नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली इन सभाओं में शामिल रहे। आरएलपी की सभा में हनुमान बेनीवाल और बीएपी की सभा में सांसद राजकुमार रोत बड़े नेताओं के रूप में इन सभाओं में मौजूद रहे थे। ऐसे में अब सोमवार से फिर चुनाव प्रचार तेज होगा।
संघर्ष वाली सीट पर जा सकते हैं मुख्यमंत्री
भारतीय जनता पार्टी की ओर से रविवार तक सभी सीटों पर चुनाव प्रचार की रणनीति बना ली जाएगी। इसमें स्टार प्रचारकों को विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जाएगा। फिलहाल मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आगामी दौरा तय नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर कड़ी टक्कर वाली सीट पर सीएम भजन लाल शर्मा चुनाव प्रचार के लिए जा सकते हैं। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ही अब सातों सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे, यह तय हो चुका है।
कांग्रेस में जूली-डोटासरा करेंगे नेतृत्व
इधर, कांग्रेस में उप चुनाव का जिम्मा अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली मुख्य रूप से संभालेंगे। इसका कारण यह है कि फिलहाल कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव प्रचार के लिए महाराष्ट्र जा चुके हैं। ऐसे में जूली-डोटासरा के कंधे पर उप चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी होगी।
4 सीट त्रिकोणीय, एक पर चतुष्कोणीय मुकाबला
बता दें कि विधानसभा की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में नाम वापसी के बाद अब स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। 7 में से 4 सीट देवली-उनियारा, झुंझुनूं, खींवसर और देवली-उनियारा पर त्रिकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है। जबकि चौरासी में मामला चतुष्कोणीय हो गया है। यहां भारत आदिवासी पार्टी के बागी भी चुनाव मैदान में हैं।