Rajasthan Assembly By-Election 2024: राजस्थान की 7 सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम आ चुके हैं। यह परिणाम भाजपा के लिए शानदार रहा तो वहीं कांग्रेस को बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा। राज्य की जनता ने भजनलाल सरकार के 11 माह के कामकाज पर भरोसा जताया। यही वजह है कि सात सीटों में से 5 सीटों पर भाजपा को जीत मिली। वहीं, दौसा सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली, जबकि चौरासी सीट को बीएपी जीतने में कामयाब रही। इस बीच सबसे खास बात यह रही कि इस उपचुनाव में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा धूमिल भी हुई। जनता जनार्दन ने परिवारवाद को सिरे से खारिज कर दिया।
उपचुनाव परिणाम पर एक नजर
उपचुनाव परिणाम के बाद राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या बढ़कर 119 हो गई है। इस उपचुनाव में भाजपा को 5 सीटों पर जीत मिली है। इनमें सलूंबर, खींवसर, झुंझुनू, देवली-उनियारा और रामगढ़ सीट शामिल है। झुंझुनू में भाजपा की जीत इस मायने में भी अहम है, क्योंकि यहां भाजपा दशकों से चुनाव नहीं जीती थी। अखिरी बार 2003 में यहां पार्टी को जीत नसीब हुई थी। उसके बाद से ही इस सीट पर कांग्रेस के बृजेंद्र ओला जीतते आ रहे थे। यह सीट कांग्रेस और ओला परिवार का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन अब भाजपा के राजेंद्र भांबू ने बृजेंद्र ओला के बेटे व कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला को बड़े अंतर से हरा दिया है।
पहली बार सत्तासीन पार्टी को मिली बड़ी कामयाबी
सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ की जुगलबंदी ने राजस्थान के उपचुनाव में रिकॉर्ड बनाया है। पहली बार सत्तासीन पार्टी उपचुनाव में इस तरह विजय पताका फहराने में सफल हुई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कुशल रणनीति और ग्राउंड जीरो की समझ के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की सादगी ने भाजपा को इस उपचुनाव में सफलता दिलाने का काम किया। वहीं, कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की होनी चाहिए, क्योंकि सियायी मंचों से उनके भाषण और फटकार जनता को रास नहीं आई। इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से बंटी नजर आई, जिसकी परिणाम अब सार्वजनिक है।
जनता ने परिवारवाद और दिगज्जों को नकारा
राज्य की 7 सीटों पर हुए उपचुनाव में इस बार जनता ने पूरी तरह से परिवारवाद और सियासी दिग्गजों को नकार दिया। दौसा सीट पर जगमोहन मीणा की हार ने कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके किरोड़ीलाल मीणा को तो खींवसर सीट पर कनिका बेनीवाल की हार ने हनुमान बेनीवाल और झुंझुनू से अमित ओला की हार ने बृजेंद्र ओला के कद को कम किया है। इन तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने परिवारवाद को बढ़ावा देते हुए टिकट दिए थे, लेकिन जनता जनार्दन ने परिवारवाद को सिरे से खारिज कर दिया। वहीं, रामगढ़ से जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को हराकर यह संदेश दिया कि मतदाता जागरूक हो चुके हैं। अब एक ही परिवार की राजनीति में बपौती नहीं चलेगी।
नहीं चाहिए बाहुबली राजनेता
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जनता सब समझती है वो किसी बाहुबली नेता को अपना जनप्रतिनिधि नहीं बनना चाहती। इस दौरान राठौड़ ने देवली-उनियारा में एसडीएम थप्पड़कांड का भी जिक्र किया। साथ ही सांसद हनुमान बेनीवाल के चुनाव प्रचार के दौरान दिए एक बयान पर उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें सबक सिखाया है. उन्होंने कहा कि अब प्रदेश की जनता विकास पर वोट करती है। यही वजह है कि जनता ने इस बार भजनलाल सरकार के 11 माह के कामकाज पर भरोसा जताया है। बड़ी बात यह रही कि भाजपा इस बार अपनी जीती हुई सीट को उपचुनाव में फिर से जीतने में कामयाब रही।