Important order of Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में बिल्डरों द्वारा बेचे जाने वाली प्रॉपर्टी के मामले में एक बड़ा आदेश पारित करते हुए कहा कि पानी, बिजली, सड़क जैसी सुविधाओं का यूडीएच एवं निगम को प्रमाण पत्र देना होगा। उसके बाद ही कोई प्रॉपर्टी बेची जाएगी। मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास की खंडपीठ में एक आवासीय कॉलोनी के रहवासियों की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट के निर्देशों के बावजूद बार-बार अधिकारी केवल समय ले रहे हैं. ऐसे में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई।
विकास प्राधिकरण, यूडीएच और निगम को निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा कि अब से, राज्य में विकास प्राधिकरण-यूडीएच और निगम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी बिल्डर को भवन विनियमों के तहत उस पर लगाए गए सभी दायित्वों को पूरा किए बिना भूखंड और मकान बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्य और विकास प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेंगे कि बिल्डरों द्वारा व्यक्तिगत खरीदारों के साथ धोखाधड़ी न की जाए। विकास प्राधिकरणों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि विकास योजना के अनुसार विकास हो और वर्तमान जैसी स्थिति न हो, जहां बिना जन-सुविधाओं के हजारों लोग रहने लगे हैं।
इसलिए राजस्थान हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती
दरअसल लम्बे समय से राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष सुशांत सिटी व असंल सुशांत सिटी के रहवासियों की ओर से दायर जनहित याचिका पर लगातार सुनवाई चल रही है। कोर्ट के बार-बार पेयजल उपलब्ध करवाने के निर्देश के बावजूद केवल जेडीए, निगम, पेयजल विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे थे। ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट ने अब सख्ती दिखाते हुए आदेश पारित किया है कि अब कोई भी डेवलपर या बिल्डर पानी, बिजली और सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के बिना प्रॉपर्टी (मकान-फ्लैट) बेच नहीं पाएगा।