Friday, September 20, 2024

Rajasthan Assembly: विधायकों और मार्शलों के बीच मारपीट, हंगामे के बाद विधायक मुकेश भाकर सस्पेंड

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Uproar in Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में सोमवार को विधायकों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में किए नवाचार बताने थे, लेकिन इसी दौरान विधानसभा में ही ‘नवाचार’ हो गया। विधायक मुकेश भाकर ने अध्यक्ष की व्यवस्था को चैलेंज किया तो उसके बाद वासुदेव देवनानी ने उन्हें बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया। इसके बाद विधानसभा में जमकर हंगामा बरपा। हालात यह हो गए कि दो बार आधे-आधे घंटे के लिए सदन को स्थगित करना पड़ा।

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निलंबित विधायक को बाहर निकालने के लिए आए मार्शल और विपक्षी विधायकों के बीच जमकर मारपीट हुई। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ और उम्रदराज विधायक हरिमोहन शर्मा मारपीट के कारण गिर पड़े। वहीं, विधायक अनिता जाटव की चूड़ियां टूट गईं। हंगामे के बीच विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

जूली और देवनानी के बीच हुई नोकझोंक

मारपीट और हंगामे के बाद कांग्रेस विधायक सदन में धरने पर बैठ गए। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने एलान किया कहा कि हम रातभर धरना देंगे। दूसरी ओर मार्शलों ने भी आरोप लगाया कि घटनाक्रम में उन्हें भी चोटें आई हैं। दरअसल, विधानसभा में यह पूरा घटनाक्रम लंच ब्रेक के बाद हुआ। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और स्पीकर वासुदेव देवनानी के बीच नोकझोंक हो गई। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता लागू हो चुकी है, लेकिन सरकार ने 12 से ज्यादा सरकारी वकीलों की नियुक्ति सीआरपीसी के तहत कर दी है। यह संविधान का उल्लंघन है।

MLA मुकेश भाकर ने नहीं मानी स्पीकर की बात

स्पीकर वासुदेव देवनानी ने नेता प्रतिपक्ष को व्यवस्था नहीं दी। उन्होंने कहा कि पहले लिखित में दीजिए, आप कौन से नियम के तहत इस पर चर्चा कराना चाहते हैं। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष की स्पीकर से नोकझोंक हो गई। इसके बाद नाराज कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। स्पीकर ने कहा कि ‘नियमों में आइए, कल व्यवस्था दूंगा।’ जब हंगामा बढ़ा तो कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर भी बोलने लगे, जिस पर स्पीकर ने आपत्ति जताई। देवनानी ने भाकर को बैठने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं बैठे।

“बात को अनावश्यक मुद्दा बनाकर किया व्यवधान”

विधि एवं कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि बिना नियमों में आए उन्होंने विषय उठाने का प्रयास किया है। सरकारी अधिवक्ता नियुक्त करने की प्रक्रिया पुराने कानून में शुरू हो चुकी थी और कई जगह प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी है। इस बात को अनावश्यक रूप से मुद्दा बनाकर सदन में व्यवधान किया गया। एक सदस्य ने आक्रामक रूप से आसन की ओर बढ़ने का प्रयास किया, इसलिए उन्हें निलंबित किया गया। मंत्री के बेटे की नियुक्ति के सवाल पर उन्होंने कहा कि लिखित में जो दिया गया है, उसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है। वह नियुक्ति एक प्रक्रिया के तहत आज से 7 महीने पहले हुई थी और आज उसका कोई मुद्दा ही नहीं है।

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