Atul Subhash Suicide: अतुल सुभाष की मौत से खड़े हो रहे कानून व्यवस्था पर सवालसॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने देश में हड़कंप मचा दिया है और उसी के साथ देश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए है।
बेंगलुरु में काम करने वाले 34 वर्षीया सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने सिस्टम पर सवालिया निशान लगा दिए है । सुभाष ने 24 पेज का सुसाइड नोट और 80 मिनट का वीडियो रिकॉर्ड करके अपनी जान दे दी। इस वीडियो में अतुल ने अपनी मौत के लिए पत्नी निकिता सिंघानिया, सास, साले, चचेरे ससुर और कानून व्यवस्था को जिम्मेदार बताया है। इसके साथ ही सुभाष ने पारिवारिक कलह और कानूनी लड़ाई से मानसिक प्रताड़ना का दर्द बयान करते हुए अपनी कुछ अंतिम इक्छाएं भी बताई है।
अतुल सुभाष को देनी पड़ती थी रिश्वत
अपने वीडियो और नोट में अतुल ने बताया की 2019 में शादी के बाद, उसकी पत्नी ने उसपर और अतुल के परिवार पर घरेलू हिंसा, हत्या, दहेज प्रताड़ना समेत नौ केस लाद दिए। इसी के साथ जज ने भी अतुल से पांच लाख रु. मांगते हुए 3 करोड़ रु. में मामला सेंटल करने का दबाव बनाया। ऐसे में जब उसने सेटलमेंट से मना किया तो जज ने पक्ष रखने का मौका दिए बगैर ही पत्नी को हर महीने 80 हजार देने का आदेश दे दिया। यहाँ तक की जब अदालत में निकिता ने उससे आत्महत्या करने को कहा तो जज रीता कौशिक ने उसे रोकने की जगह हसना शुरू कर दिया।
इंसाफ अभी बाकि है
पुलिस सुभाष के शव के पास पहुंची तो उन्हें एक तख्ती लटकी मिली, जिस पर लिखा था- इंसाफ बाकी है। वहीँ सुभाष ने अपने परिवार से विनती की है की अगर उसे इंसाफ ना मिले तो उसकी अस्थियों को कोर्ट के बहार ही गटर में बहा दिया जाये।
अब सवाल यह उठता है की यह हमारे देश की कैसी कानून व्यवस्था है, जहाँ जेंडर इक्वलिटी एक मज़ाक बन गया है। एक आदमी जिसपर दहेज़ और प्रताड़ना के झूठे आरोप लगाए गए,उसे जस्टिस पाने के लिए आत्माहत्या करनी पड़ गयी। हमारे कानून में ऐसे केसेस में हमेशा महिलाओ का ही साथ दिया जाता,फिर चाहे पुरुष बेगुना ही क्यों न हो, इस वजह से हर साल ना जाने कितने ही निर्दोषो को सजा मिल जाती है।