Praggnanandhaa Defeated Magnus Carlsen: भारतीय शतरंज का एक और स्वर्णिम अध्याय उस समय लिखा गया जब 19 वर्षीय ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंद ने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हरा दिया।
यह जीत 16 जुलाई को अमेरिका के लास वेगास में आयोजित फ्रीस्टाइल शतरंज ग्रैंड स्लैम के चौथे राउंड में दर्ज की गई। इस मुकाबले में प्रज्ञानानंद ने केवल 39 चालों में बाजी अपने नाम की, जिससे शतरंज की दुनिया में हलचल मच गई है।
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Praggnanandhaa Defeated Magnus Carlsen: 93.9 प्रतिशत एक्यूरेसी के साथ खेल दिखाया
इस मुकाबले में प्रज्ञानानंद ने शुरुआत से ही आक्रामक और सटीक चालें खेलते हुए खेल पर पकड़ बनाई। उन्होंने 93.9 प्रतिशत एक्यूरेसी के साथ खेल दिखाया,
जबकि मैग्नस कार्लसन की सटीकता 84.9 प्रतिशत ही रही, जो उनके स्तर के खिलाड़ी के लिए अपेक्षाकृत कम मानी जाती है।
प्रज्ञानानंद की यह जीत इस मायने में भी खास है क्योंकि उन्होंने अब तक के तीनों मुख्य फॉर्मेट क्लासिकल, रेपिड और ब्लिट्ज में मैग्नस कार्लसन को हराकर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी है।
क्लासिकल से ज्यादा फ्रीस्टाइल पसंद
खास बात यह रही कि यह जीत किसी संयोग या चूक के कारण नहीं आई, बल्कि प्रज्ञानानंद की ठोस रणनीति, आत्मविश्वास और साहसी चालों का नतीजा रही। खेल के बाद दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्हें इस समय “क्लासिकल से ज्यादा फ्रीस्टाइल पसंद है”।
यह बयान न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वह अब हर फॉर्मेट में अपने खेल को निखार चुके हैं। उनका रिलैक्स्ड अंदाज़ और मानसिक मजबूती उन्हें आज की युवा पीढ़ी का प्रेरणास्त्रोत बनाता है।
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय खिलाड़ियों ने मैग्नस कार्लसन जैसे दिग्गज को मात दी हो। प्रज्ञानानंद से पहले ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश भी उन्हें पराजित कर चुके हैं। लेकिन इस बार की जीत में खास बात यह है कि प्रज्ञानानंद की उम्र अभी केवल 19 साल है और वे लगातार अपने प्रदर्शन से विश्व शतरंज पटल पर भारत का परचम लहरा रहे हैं।
भारत के लिए एक और गर्व का क्षण
प्रज्ञानानंद की इस सफलता पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। भारत के खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी इस शानदार जीत पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा, “शतरंज में भारत के लिए एक और गर्व का क्षण।
केवल 19 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानानंद ने फ्रीस्टाइल चैस ग्रैंड स्लैम में मात्र 39 चालों में वर्ल्ड नंबर वन मैग्नस कार्लसन को हराकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।”
उभरते शतरंज के खिलाड़ी
प्रज्ञानानंद की यह जीत सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत के उभरते शतरंज साम्राज्य की झलक है। विश्व शतरंज में भारत की स्थिति दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है और युवा खिलाड़ियों की इस नई पीढ़ी ने साबित कर दिया है कि भारत आने वाले वर्षों में शतरंज का प्रमुख केंद्र बनने जा रहा है।
अब सबकी निगाहें फ्रीस्टाइल ग्रैंड स्लैम के अगले मुकाबलों पर टिकी हैं, जहां यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रज्ञानानंद अपनी यह लय बनाए रखेंगे और इतिहास के पन्नों में एक और अध्याय जोड़ेंगे, लेकिन एक बात तो साफ है भारतीय शतरंज का भविष्य अब केवल उज्ज्वल नहीं, बल्कि वैश्विक शिखर की ओर अग्रसर है।