Saturday, July 26, 2025

झालावाड़ हादसे के बाद प्रबोधक संघ का मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को खुला पत्र, नीतिगत विफलताओं पर तीखा हमला

शिक्षा के मंदिर में मौत: हादसे ने खोली तंत्र की संवेदनहीनता की पोल

25 जुलाई 2025 को राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक सरकारी विद्यालय की छत गिरने से मासूम बच्चों की मौत की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

इस हादसे को लेकर अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष कन्हैया लाल पोटर ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को एक खुला पत्र लिखते हुए शिक्षा व्यवस्था की खस्ताहाली और सरकारी उपेक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक ‘नीतिगत नरसंहार’ बताया है।

जर्जर भवनों की अनदेखी बनी जानलेवा, शिक्षक नहीं बल्कि शासन दोषी

पत्र में कहा गया है कि विद्यालय भवनों की जर्जर स्थिति की शिकायतें वर्षों से की जा रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक न कोई ठोस सर्वे हुआ है और न ही भवनों के नवीनीकरण को प्राथमिकता दी गई है।

1000593539
झालावाड़ हादसे के बाद प्रबोधक संघ का मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को खुला पत्र, नीतिगत विफलताओं पर तीखा हमला 2

उन्होंने पूछा कि जब पूरे विद्यालय का भवन ही जर्जर हो, तो संस्था प्रधान बच्चों को कहाँ पढ़ाएँ, क्या खुले आसमान के नीचे? ऐसे में भवनों में बच्चों को न बैठाने के आदेश केवल दिखावा साबित होते हैं।

दोषियों पर गाज या बलि का बकरा? निलंबन पर संघ ने जताई आपत्ति

कन्हैया लाल पोटर ने सरकार द्वारा पाँच शिक्षकों को निलंबित करने के निर्णय की तीव्र आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘त्वरित कार्यवाही’ नहीं बल्कि नीति विफलता का दोष मासूम शिक्षकों पर मढ़ना है।

शिक्षकों के पास न तो विद्यालय बंद करने का अधिकार है, न ही कोई वैकल्पिक भवन देने की शक्ति। ऐसे में निलंबन का आदेश तंत्र की क्रूरता और संवेदनहीनता का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि असली जवाबदेही उन्हीं अधिकारियों की बनती है जो इस लचर व्यवस्था को संचालित कर रहे हैं।

शिक्षकों पर थोपे जा रहे हैं अयुक्ति-पूर्ण लक्ष्य, नवाचारों का गला घोंटा जा रहा है

पत्र में आगे कहा गया है कि आज शिक्षकों को शिक्षण से अधिक गैर-शैक्षणिक कार्यों में झोंक दिया गया है। उन पर पेड़ लगाने जैसे असंभव लक्ष्य थोपे जा रहे हैं। साथ ही, जो शिक्षक बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करना चाहते हैं, उन पर कार्यवाही की जा रही है।

पोटर ने पूछा कि क्या यही वह राजस्थान है जो कभी शिक्षा के नवाचारों के लिए पहचाना जाता था? क्या हम उस युग में लौट रहे हैं जहाँ न विचार सुरक्षित हैं, न जीवन?

“उच्चस्तरीय जांच” का बयान और नैतिकता का सवाल

शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए बयान, “हम इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराएँगे और दोषियों पर कार्रवाई करेंगे”, पर सवाल खड़े करते हुए पत्र में लिखा गया है कि मंत्री को आत्मा पर हाथ रखकर स्वयं से पूछना चाहिए कि असली दोषी कौन है?

वह प्रधानाध्यापक जिसने समय रहते भवन की रिपोर्ट दी थी, वह शिक्षक जिसने बारिश में भी बच्चों को पढ़ाया, या फिर वे नीति निर्माता जिनकी योजनाएँ केवल कागज़ों पर ही चलती हैं?

नैतिक जवाबदेही और इस्तीफे की मांग

प्रबोधक संघ के अध्यक्ष ने आगे लिखा कि क्या यह उचित नहीं होता कि शिक्षा व्यवस्था की इस भयावह विफलता से व्यथित होकर मंत्री स्वयं नैतिक आधार पर इस्तीफा देते? क्या यह हादसा भी उन मासूम बच्चों की तरह मलबे में दबा दिया जाएगा?

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक छत के गिरने की बात नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था का गिरना है जिसमें अब न संवेदना बची है, न जवाबदेही।

राज्यव्यापी सर्वे और भवनों के नवीनीकरण की माँग

पत्र में सरकार से मांग की गई है कि वह पूरे प्रदेश के सरकारी विद्यालयों का त्वरित सर्वे कराए और जिन विद्यालयों की स्थिति जर्जर हो, उनका अविलंब नवीनीकरण कराए।

साथ ही, इस हादसे के दोष का बोझ केवल शिक्षकों पर न डालकर पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया जाए।

शिक्षा के बजट का यथार्थ उपयोग और नीति सुधार की सलाह

कन्हैया लाल पोटर ने सुझाव दिया है कि चिकित्सा और शिक्षा विभाग को सर्वाधिक बजट दिया जाता है, अतः उसका सही उपयोग सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने प्रस्ताव रखा कि प्रत्येक सरकारी वेतनभोगी अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि को यह निर्देशित किया जाए कि वे कम से कम एक बच्चे को सरकारी विद्यालय में पढ़ाएँ ताकि सरकारी स्कूलों की साख और गुणवत्ता पुनः स्थापित की जा सके।

विहंगावलोकन: संवेदनशीलता और ईमानदार शिक्षा नीति की माँग

यह पत्र एक शिक्षक संगठन की ओर से सरकार को एक सख्त चेतावनी और संवेदनशील अपील है। यह केवल एक घटना पर प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि वर्षों से दबे आक्रोश, उपेक्षा और शिक्षक वर्ग के अपमान के खिलाफ उठी आवाज़ है।

अब देखना यह होगा कि क्या सरकार इस चेतावनी को एक संवाद का अवसर मानेगी या हमेशा की तरह मूकदर्शक बनी रहेगी।

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest article