PMLA: मोदी सरकार में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में काफी तेजी आई है। वाजपेयी राज में बने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) कानून को मोदी सरकार ने काले धन से लड़ने का ‘हथियार’ बना दिया। इस कानून के तहत ED ने 2014 के बाद से भ्रष्टाचार से कमाई गई लाखों करोड़ की सम्पत्ति को सीज किया है और कई मामलों में उन्हें वापस पीड़ितों या एजेंसियों तक पहुंचाया है। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत सजा दिलाने में भी बीते सालों में बड़ी सफलता पाई है।
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मोदी सरकार में 95% प्रॉपर्टी हुई सीज
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2005 में लागू हुए गए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) कानून के तहत अब तक जांच एजेंसी ED 1.45 लाख करोड़ की सम्पत्ति अटैच कर चुकी है। वर्ष 2024 में ही ED ने 21 हजार करोड़ से अधिक सम्पत्ति अटैच की। इस 1.45 लाख करोड़ में से 1.40 लाख करोड़ यानी 95% प्रॉपर्टी तो मोदी सरकार के अंतर्गत ही जब्त हुए।
100 लोगों को दोषी करार दिलाया
ED ने PMLA के तहत मात्र सम्पत्तियां ही जब्त नहीं की बल्कि लोगों को कानून के घेरे में लाने में भी सफलता पाई। ED ने 44 मामलों में 100 लोगों को अब तक PMLA के तहत दोषी करार दिलाया है। इस कार्रवाई में तेजी बीते एक वर्ष में आई है। 100 में से 36 लोग 2024-25 के शुरूआती 9 महीनों में ही दोषी करार दिए गए हैं। ED ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक 911 लोगों को गिरफ्तार किया है।
कांग्रेस राज में लागू, मोदी सरकार ने किया उपयोग
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) कानून अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली वाजपेयी सरकार ने बनाया था। इसे 2002 में संसद ने पास किया था। यह कानून मनी लॉन्ड्रिंग रोकने, इस पैसे से बनाई गई सम्पत्ति को वापस लेने और दोषियों को कठघरे में लाने के लिए बनाया गया था। कानून को कांग्रेस सरकार ने 2005 में लागू किया था। लेकिन मोदी सरकार ने 2014 के बाद इस कानून का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल चालू किया है। इसी का परिणाम है कि 2005-14 के बीच जहाँ 5 हजार करोड़ की कालेधन से कमाई गई सम्पत्ति जब्त हुई थी तो वहीं मोदी सरकार में यह आंकड़ा लगभग 28 गुने बढ़ गया।
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