Friday, October 3, 2025

“पिंक टैक्स: खूबसूरती के नाम पर महिलाओं की जेब पर वार”

पिंक टैक्स: ऐसा माना जाता है की लड़कियों को पिंक कलर बहुत पसंद होता है, लेकिन क्या आप जानते है की इसी पिंक कलर की वजह से लड़कियों को अपने हर सामान पर एक्स्ट्रा टैक्स देना पड़ता है। इसीलिए इस टैक्स को पिंक टैक्स या गुलाबी कर कहते है।

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अक्सर अपने नोटिस किया होगा की वो हर सामान जिसे महिलाये इस्तेमाल करती है या जो खास तोर पर महिलाओं के लिए बनाया जाता है उसके दाम पुरुषों के लिए बनायीं गयी वस्तुओं से मेहेंगा होता है। और ऐसा सिर्फ किसी एक देश में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है।

क्या है पिंक टैक्स?

पिंक टैक्स को गुलाबी कर भी कहा जाता है। इसका सीधा संबंध महिलाओं से है। यह कोई ऑफिशियल टैक्स नहीं है, यानी सरकार को इसका फायदा नहीं मिलता।

बल्कि यह कंपनियों द्वारा लिया जाने वाला एक अतिरिक्त शुल्क है, जो उन प्रोडक्ट्स पर लगाया जाता है जिन्हें विशेष रूप से महिलाओं के लिए तैयार किया जाता है।

इसी वजह से महिलाओं के प्रोडक्ट पुरुषों की तुलना में महंगे होते हैं। जैसे अगर पुरुषों का ऑयल 100 रुपये का है तो उसी कंपनी का महिलाओं के लिए बना ऑयल 130–150 रुपये तक मिल सकता है।

किन-किन प्रोडक्ट्स पर लगता है पिंक टैक्स?

महिलाओं के लिए डिजाइन किए गए पर्सनल केयर और डेली यूज़ प्रोडक्ट्स पर यह टैक्स सबसे ज्यादा दिखाई देता है। उदाहरण के लिए:

मेकअप के सामान – नेल पेंट, लिपस्टिक, फाउंडेशन

पर्सनल केयर – डियो, परफ्यूम, हेयर प्रोडक्ट्स

हेल्थ प्रोडक्ट्स – सैनिटरी पैड्स, ब्यूटी क्रीम्स

आर्टिफिशियल ज्वेलरी और अन्य एक्सेसरीज़

यहां तक कि जिन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल पुरुष और महिलाएँ दोनों करते हैं, जैसे लिप बाम या डियो, उनमें भी प्राइस का बड़ा फर्क देखने को मिलता है। मसलन पुरुषों का लिप बाम 70 रुपये का है तो महिलाओं का वही प्रोडक्ट 150 रुपये में बिकता है।

पिंक टैक्स: क्यों लगता है महिलाओं के प्रोडक्ट पर ज्यादा दाम?

कंपनियां अलग-अलग तर्क देती हैं कि महिलाओं के सामान बनाने में ज्यादा खर्च आता है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। दरअसल, कंपनियां मानती हैं कि महिलाएँ अपने पर्सनल प्रोडक्ट्स पर ज्यादा खर्च करने को तैयार रहती हैं। इसी मनोविज्ञान का फायदा उठाकर वे दाम बढ़ा देती हैं।

पिंक टैक्स: कई बार यह भी कहा जाता है कि महिलाओं और पुरुषों के सामान की डिमांड अलग-अलग होती है, इसलिए प्राइसिंग स्ट्रक्चर भी अलग रखा जाता है। हालांकि, इसका नतीजा हमेशा महिलाओं के खिलाफ ही जाता है।

कब सामने आया पिंक टैक्स का मामला?

पिंक टैक्स की चर्चा सबसे पहले अमेरिका में 2015 में बड़े स्तर पर हुई थी। इसके बाद कई देशों में रिपोर्ट्स आईं जिनमें यह साफ हुआ कि महिलाओं के लिए बनाए गए सामान पुरुषों से औसतन 7% से 15% तक महंगे बेचे जाते हैं।

भारत में भी यह प्रैक्टिस लंबे समय से चली आ रही है। महिलाएँ जब शॉपिंग करती हैं तो उन्हें यह फर्क आसानी से नजर आ जाता है।

पिंक टैक्स: किसे होता है फायदा?

पिंक टैक्स से सरकार का कोई सीधा लेना-देना नहीं है। इसका पूरा फायदा कंपनियों को मिलता है। महिलाएँ जब भी कोई प्रोडक्ट खरीदती हैं तो वे असल कीमत से ज्यादा पैसे देकर कंपनियों की कमाई बढ़ाती हैं।

पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स और वुमेन स्पेसिफिक सर्विसेज जैसे ब्यूटी पार्लर, हेयर स्पा, कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट्स आदि में यह फर्क और भी ज्यादा नजर आता है।

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