Pakistan: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू समुदाय के साथ हुए ताजा मामले ने एक बार फिर वहां की धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अन्याय को उजागर कर दिया है।
सिंध की एक अदालत ने दो हिंदू परिवारों से उनके नाबालिग बच्चों की कस्टडी लौटाने के लिए 1 करोड़ रुपये का सुरक्षा बांड भरने का आदेश दिया है। ये बच्चे कुछ समय पहले अचानक लापता हो गए थे और बाद में पता चला कि उन्हें जबरन इस्लाम में धर्मांतरित कर दिया गया।
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Pakistan: मुस्लिमों के साथ रह रहे बच्चे
यह घटना संघर जिले की है, जहां तीन बहनें और उनका एक चचेरा भाई एक दिन अचानक लापता हो गए। बच्चों के परिवारों ने तुरंत पुलिस में अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। बाद में जांच में खुलासा हुआ कि,
ये सभी मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों के साथ रह रहे थे और उन्होंने कथित रूप से इस्लाम धर्म अपना लिया था। परिवारों का आरोप है कि बच्चों को बहला-फुसलाकर या जबरन धर्म बदलवाया गया है।
बुर्का पहनाकर कोर्ट में किया गया पेश
जब यह मामला कोर्ट में पहुंचा तो अदालत ने दो लड़कियों दीया और जिया को बालिग मानते हुए कहा कि वे अपनी मर्जी से कहीं भी रह सकती हैं, इसलिए उन्हें उनके माता-पिता को सौंपना जरूरी नहीं है और उन्हें बुर्का पहनाकर कोर्ट में पेश किया गया,
लेकिन दो अन्य बच्चे दशीना और हरजीत को नाबालिग माना गया। इस पर कोर्ट ने यह मान लिया कि उनकी देखरेख का अधिकार माता-पिता को मिलना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही एक हैरान करने वाली शर्त भी जोड़ दी।
कोर्ट ने मांग 1 करोड़ का बांड
अदालत ने आदेश दिया कि अगर माता-पिता अपने नाबालिग बच्चों को वापस लेना चाहते हैं, तो पहले उन्हें 1 करोड़ रुपये का सुरक्षा बांड देना होगा। यह बांड इस शर्त पर आधारित है कि वे अपने बच्चों को दोबारा हिंदू धर्म अपनाने के लिए मजबूर नहीं करेंगे।
यानी अपने ही बच्चों को उनके पैतृक धर्म में वापस लाना अब पाकिस्तान में एक अपराध जैसा बना दिया गया है।
बहला-फुसलाकर कराया धर्म परिवर्तन
यह फैसला सिर्फ एक कानूनी आदेश नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और धार्मिक चिंता का विषय है। इससे यह साफ पता चलता है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका भी अब अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों को सीमित करने में शामिल हो गई है।
जब अदालतें इस तरह की शर्तें लगाती हैं, तो यह अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन को एक तरह की वैधता देती हैं। इससे कट्टरपंथी ताकतों को और बल मिलता है कि वे अल्पसंख्यकों को डराकर, धमकाकर या बहला-फुसलाकर उनके धर्म को बदलवा सकें।
पाक में अल्पसंख्यकों का कराया गया पिंडदान
धार्मिक स्वतंत्रता हर व्यक्ति का मूल अधिकार है लेकिन पाकिस्तान में हालात ऐसे बनते जा रहे हैं जहाँ अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं और सिखों के लिए अपने धर्म का पालन करना भी मुश्किल होता जा रहा है।
बच्चों को अगवा करके, उनका जबरन धर्म परिवर्तन करवा कर और फिर उनके माता-पिता को कानूनी जाल में फंसा कर अपमानित करना है।
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