Tuesday, July 29, 2025

पहलगाम नरसंहार का बदला: 95 दिन की सटीक निगरानी के बाद मारा गया आतंकी हाशिम मूसा

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हिंदू नरसंहार के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा को भारतीय सेना ने 28 जुलाई को मार गिराया।

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यह कार्रवाई श्रीनगर के दाचीगाम के जंगलों में ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत अंजाम दी गई। इस ऑपरेशन में मूसा सहित तीन आतंकियों को ढेर किया गया।

ऑपरेशन महादेव की लोकेशन और तैयारी

यह ऑपरेशन श्रीनगर जिले के दाचीगाम इलाके में महादेव पर्वत की तलहटी में संचालित किया गया। आतंकियों ने वहाँ घने जंगल में टेंट लगाकर डेरा डाल रखा था और लंबे समय तक रुकने की तैयारी कर रखी थी।

उनके पास हथियारों और खाने-पीने का भरपूर सामान जमा था, जिससे अंदेशा था कि वे किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे।

कैसे मिला आतंकियों का सुराग

14 दिनों से सेना इन आतंकियों की गतिविधियों को ट्रैक कर रही थी। शनिवार, 26 जुलाई को चीन निर्मित सैटेलाइट फोन का एक रेडियो सिग्नल पकड़ा गया, जिससे इनकी लोकेशन का पता चला।

यह वही तकनीक थी जिसका उपयोग पहलगाम हमले के वक्त भी किया गया था। सुरक्षाबलों ने सिग्नल मिलने के बाद स्थानीय मुखबिरों, घोड़ा-खच्चर वालों और ड्रोन सर्वे की मदद से पुख्ता जानकारी जुटाई।

कैसे हुआ ‘ऑपरेशन महादेव’

सुरक्षा एजेंसियों को जैसे ही ठोस जानकारी मिली, सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर क्षेत्र को घेर लिया। सेना की चिनार कोर के अंतर्गत 4 पैरा स्पेशल फोर्स यूनिट को जंगल के भीतर भेजा गया।

सुबह करीब 11 बजे मुठभेड़ शुरू हुई और थोड़ी ही देर में तीनों आतंकी मार गिराए गए। ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को कोई नुकसान नहीं हुआ।

मारे गए आतंकियों की पहचान और भूमिका

इस ऑपरेशन में हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह, जिबरान और हमजा अफगानी नामक तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए। इनमें हाशिम मूसा सबसे बड़ा नाम था, जो पहलगाम में हिंदुओं की हत्या का मास्टरमाइंड था।

मूसा पाकिस्तान की सेना की SSG यूनिट का पूर्व सदस्य था और लश्कर-ए-तैयबा से लंबे समय से जुड़ा था। उस पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ₹20 लाख का इनाम रखा था।

मूसा की आतंकवादी पृष्ठभूमि

मूसा Z-मोड़ सुरंग हमले में शामिल रहा था, जिसमें छह लोगों की जान गई थी। भारत में उसकी घुसपैठ कठुआ और सांबा के रास्ते हुई थी।

ऑपरेशन शुरू होने से कुछ समय पहले तक मूसा टेंट में सो रहा था। सेना द्वारा पकड़े गए सैटेलाइट सिग्नल ने उसकी मौत का रास्ता बना दिया।

बरामद हथियार और सामग्री

आतंकियों के ठिकाने से एक अमेरिकी M4 राइफल, दो AK-47 राइफलें, बड़ी संख्या में ग्रेनेड और भारी मात्रा में खाद्य सामग्री बरामद हुई। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे लम्बे समय तक जंगल में टिकने और संभावित आतंकी हमले की योजना में थे।

पहलगाम हमले का बदला

पहलगाम में हुए हमले में आतंकियों ने 26 हिंदुओं को निशाना बनाकर मौत के घाट उतारा था। 97 दिन बाद सेना ने इस हमले का बदला लेते हुए ‘ऑपरेशन महादेव’ को अंजाम दिया।

सेना के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बयान में कहा कि चिनार कोर आतंकियों को उनके उन आकाओं के पास वापस भेजती है, जिन्होंने उन्हें बनाया था।

सेना की सटीक रणनीति और राष्ट्र को संदेश

‘ऑपरेशन महादेव’ सेना की तकनीकी क्षमता, स्थानीय जानकारी और सटीक रणनीति का उदाहरण बन गया है। यह दर्शाता है कि भारत आतंकियों को उनके किए की सजा देने में संकोच नहीं करता।

95 दिनों की खामोशी के बाद सैटेलाइट फोन ऑन होते ही जो हमला हुआ, वह न सिर्फ तकनीकी सफलता थी, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी, आतंक का जवाब अब सटीक और निर्णायक कार्रवाई से मिलेगा।

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