ऑपरेशन सिंदूर: सिंदूर के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की कोशिश की।
लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार के बयान ने उनकी बातों की पोल खोल दी। इशाक डार ने साफ कहा कि सीजफायर का प्रस्ताव अमेरिका की ओर से आया था,
लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया। यह खुलासा इस बात की पुष्टि करता है कि भारत ने कभी भी किसी तीसरे पक्ष को बीच में आने की इजाजत नहीं दी।
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ऑपरेशन सिंदूर: अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत का खुलासा
इशाक डार ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बातचीत हुई थी। रुबियो ने उनसे कहा कि भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं मानेगा क्योंकि यह पूरी तरह से द्विपक्षीय मसला है।
पाकिस्तान की ओर से बार-बार मध्यस्थता की गुहार के बावजूद भारत ने अपना रुख स्पष्ट रखा और केवल सीधा संवाद ही स्वीकार्य बताया। इससे यह भी साफ हो गया कि ट्रंप के दावे राजनीतिक बयानबाजी से ज्यादा कुछ नहीं थे।
पाकिस्तान का वार्ता पर रुख
अल जजीरा को दिए एक इंटरव्यू में इशाक डार ने कहा कि पाकिस्तान भारत से बातचीत करने के लिए तैयार है। जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान तीसरे पक्ष की भागीदारी चाहता है।
उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद को इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि भारत इसे केवल द्विपक्षीय मामला मानता है।
डार ने कहा कि बातचीत के लिए भीख नहीं मांगी जाएगी। पाकिस्तान शांतिपूर्ण समाधान चाहता है, लेकिन भारत को बातचीत के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
सीजफायर पर भारत की निर्णायक भूमिका
इशाक डार के बयान से यह भी स्पष्ट हो गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए सीजफायर का फैसला किसी तीसरे देश की पहल से नहीं बल्कि सीधे भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत से लिया गया था।
यानी भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पाकिस्तान के साथ सभी विवाद केवल द्विपक्षीय संवाद से ही हल होंगे और बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।