Operation Sindhu: ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध जैसे हालात बनते देख भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए ‘ऑपरेशन सिंधु’ की शुरुआत की। इस विशेष अभियान का उद्देश्य था कि ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों, विशेषकर छात्रों को सुरक्षित निकाला जाए।
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Operation Sindhu: 110 छात्रों को सड़क और वायु मार्ग से निकाला गया
ऑपरेशन सिंधु के तहत 110 भारतीय छात्रों को पहले सड़क मार्ग से अर्मेनिया लाया गया और वहां से इंडिगो की विशेष उड़ान द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट पर दोपहर 3:43 बजे सुरक्षित उतारा गया। इन छात्रों में से 94 जम्मू-कश्मीर से थे, जिनमें 54 छात्राएं थीं, जबकि शेष छात्र बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से थे।
Operation Sindhu: छात्रों ने सुनाई जंग के बीच की आपबीती
छात्रों ने भारत लौटने के बाद मीडिया से बातचीत में बताया कि ईरान में डर और तनाव का माहौल था। मिसाइलें हॉस्टल की छत के ऊपर से गुजरती थीं, खिड़कियां हिल जाती थीं और धमाकों से रातों की नींद उड़ जाती थी। कश्मीर के यासिर गफ्फार ने कहा कि उन्होंने मिसाइलों को ऊपर से गुजरते देखा और हर धमाके से डर जाते थे। एक छात्रा ने बताया कि एक बार उनके हॉस्टल के ऊपर से मिसाइल गुजरने से लगा जैसे भूकंप आ गया हो।
“भारत लौटकर बहुत सुकून मिला” – छात्रों की भावुक प्रतिक्रियाएं
Operation Sindhu: छात्र ने कहा कि वह अपने परिवार से मिलकर इतने खुश हैं कि इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। मुंबई की हुमैरा और नरगिस ने भी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि हालात बेहद खराब हो चुके थे, लेकिन अरेंजमेंट शानदार रहा और वे सुरक्षित लौट आईं।
भारत सरकार और दूतावास की तारीफ़
Operation Sindhu: लगभग सभी छात्रों ने कहा कि भारतीय दूतावास ने किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी। भोजन, आवास, परिवहन और सुरक्षा जैसी सारी व्यवस्थाएँ पहले से सुनिश्चित थीं। दिल्ली की छात्रा मरियम ने कहा कि उन्हें भारत आने में तीन दिन लगे, लेकिन हर जगह पूरी व्यवस्था थी।
“हम फिर लौटेंगे अपने सपनों को पूरा करने”
कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा है। छात्र बताते हैं कि हालात सामान्य होने पर वे अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी करने के लिए फिर ईरान लौटेंगे। उनका कहना है कि शिक्षा छोड़ना विकल्प नहीं है, लेकिन फिलहाल जीवन की रक्षा ज़रूरी थी।
Operation Sindhu: माता-पिता ने जताया आभार, बाकी छात्रों की सुरक्षित वापसी की भी अपील
वापस लौटे छात्रों के माता-पिता की आंखों में आंसू थे — इस बार राहत और खुशी के। एक छात्रा की मां ने कहा कि भारत सरकार ने जो किया वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। एक अन्य छात्र के पिता ने आग्रह किया कि तेहरान और अन्य शहरों में फंसे छात्रों को भी शीघ्र निकाला जाए और सरकार को इसके लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए।
दिल्ली एयरपोर्ट पर शुरू हुई शिकायतें: “अब फ्लाइट चाहिए”
जहाँ अधिकतर छात्र सरकार के प्रयासों से संतुष्ट और भावुक दिखे, वहीं दिल्ली एयरपोर्ट पर कुछ छात्रों की प्रतिक्रिया ने हैरानी भी पैदा की। सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर लौटने के लिए बसों की व्यवस्था किए जाने के बावजूद कुछ छात्रों ने यह कहते हुए असंतोष जताया कि वे थके हुए हैं और अब दिल्ली से जम्मू तक की यात्रा फ्लाइट से करना चाहते हैं — वह भी सरकारी खर्चे पर।
सवाल यह भी उठा कि क्या ये छात्र सरकार के कहने पर ईरान पढ़ने गए थे? जब सरकार ने आपात स्थिति में निःशुल्क बचाव कर सुरक्षित भारत पहुंचा दिया, तो अब फ्लाइट की मांग करना संवेदनशीलता और समझदारी के विपरीत प्रतीत होता है। राहत कार्य कोई पांच सितारा सेवा नहीं, बल्कि जीवनरक्षा का माध्यम होता है — इसे उसी भावना से समझा जाना चाहिए।
एकजुट प्रयासों से संभव हुआ यह मानवीय मिशन
‘ऑपरेशन सिंधु’ न केवल एक बचाव अभियान था, बल्कि यह भारत सरकार की संवेदनशीलता, कुशल रणनीति और अंतरराष्ट्रीय समन्वय का भी प्रतीक है। संकट की घड़ी में सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब देश के नागरिक संकट में होते हैं, तब भारत सरकार न सिर्फ योजना बनाती है, बल्कि उसे जमीनी स्तर पर क्रियान्वित कर अपने नागरिकों की जान भी बचाती है।