नोबेल पुरस्कार 2025: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान नोबेल पुरस्कार 2025 की घोषणा आधिकारिक रूप से शुरू हो चुकी है।
हर साल की तरह इस बार भी विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को यह सम्मान दिया जाएगा।
6 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक अलग-अलग श्रेणियों में विजेताओं के नाम घोषित किए जा रहे हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह पुरस्कार आखिर डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर क्यों रखे गए?
आइए जानते हैं उस दिलचस्प कहानी के बारे में जिसने इस पुरस्कार को जन्म दिया।
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नोबेल पुरस्कार 2025: डायनामाइट बनाने वाले के नाम पर क्यों रखा गया नोबेल पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार की कहानी उतनी ही प्रेरक है जितनी हैरान करने वाली। इस पुरस्कार का नाम रखा गया है अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर, जिन्होंने डायनामाइट का आविष्कार किया था।
पहली नज़र में यह विरोधाभासी लगता है कि “शांति” और “मानवता” के लिए दिए जाने वाले पुरस्कार का नाम एक विस्फोटक बनाने वाले व्यक्ति के नाम पर क्यों रखा गया।
दरअसल, 1888 में जब अल्फ्रेड नोबेल के भाई लुडविग नोबेल की मृत्यु हुई, तो एक फ्रांसीसी अखबार ने गलती से अल्फ्रेड का ही मृत्युलेख प्रकाशित कर दिया।
उस अखबार ने उन्हें “मौत का सौदागर (The Merchant of Death)” कहा और लिखा कि “एक ऐसा व्यक्ति मर गया जिसने लोगों को मारने के तरीके खोजकर धन कमाया।”
यह लेख पढ़कर अल्फ्रेड नोबेल अंदर से हिल गए। उन्हें एहसास हुआ कि इतिहास उन्हें एक विनाशक व्यक्ति के रूप में याद करेगा। यही सोच उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बनी।
कैसे जन्म हुआ नोबेल पुरस्कारों का विचार
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में अल्फ्रेड नोबेल ने फैसला लिया कि वे अपनी संपत्ति मानवता के कल्याण में लगाएंगे।
उन्होंने अपनी वसीयत (Will) में लिखा कि उनकी अधिकांश संपत्ति का उपयोग एक ट्रस्ट फंड बनाने के लिए किया जाए, जो हर साल उन लोगों को सम्मानित करेगा जिन्होंने मानवता के लिए सबसे बड़ा योगदान दिया है।
उन्होंने पांच प्रमुख क्षेत्रों का चयन किया भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य और शांति।
बाद में अर्थशास्त्र को भी इसमें शामिल किया गया। इस प्रकार 1901 से नोबेल पुरस्कारों की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी पूरी गरिमा के साथ जारी है।
नोबेल फाउंडेशन करता है पूरा प्रबंधन
नोबेल पुरस्कारों के प्रबंधन की जिम्मेदारी नोबेल फाउंडेशन (Nobel Foundation) पर है। इसका मुख्यालय स्टॉकहोम, स्वीडन में स्थित है।
यह फाउंडेशन अल्फ्रेड नोबेल की छोड़ी गई संपत्ति को सुरक्षित रखता है और उसी से हर साल पुरस्कारों की आर्थिक व्यवस्था की जाती है।
फाउंडेशन पुरस्कारों से जुड़े सभी प्रशासनिक कार्य संभालता है जैसे विजेताओं की घोषणा, पुरस्कार समारोह, चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और फंडिंग का प्रबंधन।
इसी संस्था की वजह से यह पुरस्कार एक सदी से अधिक समय से लगातार दिए जा रहे हैं।
2025 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार किसे मिला?
2025 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा के पहले दिन चिकित्सा के क्षेत्र में यह सम्मान तीन वैज्ञानिकों को दिया गया।
अमेरिका की मैरी ई. ब्रूनको, फ्रेड रैम्सडेल और जापान के शिमोन साकागुची को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला है।
इन वैज्ञानिकों को यह सम्मान पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस (Peripheral Immune Tolerance) पर किए गए उनके उत्कृष्ट शोध के लिए दिया गया है।
यह शोध इस बात पर केंद्रित है कि मानव शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही टिश्यू को क्यों नहीं नुकसान पहुंचाता। इस खोज से ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज में नई उम्मीदें जगी हैं।
नोबेल की विरासत
अल्फ्रेड नोबेल का जीवन यह सिखाता है कि इंसान अपनी गलतियों को सुधारकर मानवता के लिए मिसाल बन सकता है।
डायनामाइट बनाने वाले व्यक्ति ने अपनी संपत्ति और सोच से दुनिया के लिए शांति और ज्ञान की राह खोल दी।
आज नोबेल पुरस्कार सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि यह विश्वास है कि विज्ञान, साहित्य और शांति के जरिए दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है।