Wednesday, December 24, 2025

Mumbai train blast: 11 मिनट सात धमाके और 189 लोगों की मौत, कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया रिहा

Mumbai train blast: 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को दहला दिया था। केवल 11 मिनट के भीतर सात बम धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

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इन धमाकों को अंजाम देने के लिए प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल किया गया था और ये विस्फोट माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरीवली जैसे व्यस्त स्टेशनों के पास हुए थे, जब लोग ऑफिस से घर लौट रहे थे।

Mumbai train blast: मकोका के तहत ठहराया दोषी

घटना के बाद लंबी जांच चली और 2015 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) की विशेष अदालत ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया। इनमें फैसल शेख, आसिफ खान, कमाल अंसारी, एहतेशाम सिद्दिकी और नवीद खान को मौत की सजा दी गई,

जबकि मोहम्मद साजिद अंसारी, मोहम्मद अली, डॉ. तनवीर अंसारी, माजिद शफी, मुजम्मिल शेख, सोहेल शेख और ज़मीर शेख को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

19 साल बाद किया बरी

अब लगभग 19 साल बाद, बॉम्बे हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा है।

गवाहों के बयान कमजोर हैं, विस्फोटक, हथियार और नक्शों का धमाकों से कोई ठोस संबंध नहीं पाया गया। अदालत ने कहा कि अभियोजन यह भी साबित नहीं कर सका कि धमाकों में किस प्रकार के बम का इस्तेमाल किया गया था।

189 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन

इस फैसले के बाद देश में सवाल उठने लगे हैं। एक ओर निचली अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए सजा सुनाई थी, तो अब हाईकोर्ट को वे ही सबूत अधूरे और कमजोर लगते हैं।

अगर ये सभी 12 लोग निर्दोष हैं, तो फिर 189 मासूम लोगों की जान लेने वाला आखिर था कौन? क्या अब कोई जिम्मेदारी लेगा कि असली गुनहगार को पकड़ने में नाकामी क्यों हुई?

यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी न्यायपालिका की आंखों पर अब भी ‘न्याय की पट्टी’ नहीं, बल्कि ‘विवेक की पट्टी’ बंधी है। देश की न्याय व्यवस्था में जब एक अदालत दोष सिद्ध कर सजा देती है और दूसरी अदालत उसी को नकार देती है, तो आम जनता के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है क्या यही है न्याय? क्या यही है इंसाफ?

Madhuri
Madhurihttps://reportbharathindi.com/
पत्रकारिता में 6 वर्षों का अनुभव है। पिछले 3 वर्षों से Report Bharat से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले Raftaar Media में कंटेंट राइटर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। Daily Hunt के साथ रिपोर्टर रहीं और ETV Bharat में एक वर्ष तक कंटेंट एडिटर के तौर पर काम किया। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और एंटरटेनमेंट न्यूज पर मजबूत पकड़ है।
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