Wednesday, June 4, 2025

Morocco: बकरीद पर नहीं दी जाएगी बकरे की कुर्बानी, 99 % मुस्लिम आबादी वाले देश का बड़ा फैसला !

Morocco : इस साल के होने महीने में 6 और 7 तारीख को ईद-अल-अजहा यानी बकरीद मनाई जाएगी। इस दिन इस्लाम को मानने वाले लोग बड़ी संख्या में बकरे की कुर्बानी देते हैं।

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लेकिन अब इसी रिवाज को तोड़ते हुए, एक मुस्लिम देश जिसकी 99 प्रतिशक आबादी मुस्लिम है उनसे एक बड़ा फैसला लिया है।

इस्लामिक मुल्क मोरक्को ने बकरीद पर बकरे की कुर्बानी को लेकर सख्त आदेश दिए हैं, कि कोई भी नागरिक ईद पर बकरे या किसी और जानवर की कुर्बानी नहीं देगा।

इसके साथ ही फिमेल बकरी और फिमेल भेंड़ों की कुर्बानी पर सख्त रोक लगाई गई है। इस फैसले के बाद पूरे देश में बकरे ढूंढने के लिए छापेमारी चल रही है।

मोरक्को के राजा मोहम्मद-VI के इस फैसले के बाद वहां की जनता आक्रोशित है। ऐसा इसलिए क्योकि इस्लाम में बकरीद के दिन कुर्बानी देने का बहुत महत्व बताया गया है।

लेकिन राजा मोहम्मद-VI के इस आदेश के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने कई शहरों में कुर्बानी रोकने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके कई वीडियोस भी वायरल हो रहे है ।

Morocco: क्यों लिया यह फैसला ?

मोहम्मद-VI ने यह फैसला, भयंकर सूखे के चलते कम हो रही पशुओं की संख्या को देखते हुए लिया है। बता दें की मोरक्को में पिछले छः साल से भयंकर सुखा पड़ने के कारण जानवरों की सँख्या कम हो गई है। इसी के चलते राजा का कहना है की इस बकरीद पर लोग इबादत करे, दान करे और कुर्बानी से बचें।

राजा के इस आदेश के बाद जानवरों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और चोरी छिपे कुर्बानी के लिए लाई गई भेड़ों को घरों से ही जब्त किया जा रहा है।

जिसके बाद वहां के लोग बहुत नाराज हैं और विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। वहीँ आलोचकों का कहना है कि महंगाई और सरकारी विफलता छिपाने के लिए यह एक चाल है।

Morocco: मोरक्को सरकार के फैसले पर क्या सोचता है मुस्लिम वर्ल्ड?

मोहम्मद-VI के क़ुरबानी न देने के इस फैसले पर मुस्लिम वर्ल्ड ने आपत्ति जताई है। उन्होंने इसको खतरनाक मिसाल बताते हुए कहा की सरकार धार्मिक रीति-रिवाजों में दखल दे रही है। हालांकि, कुछ लोग सरकार के फैसले से सहमत हैं और आर्थिक और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए फैसले का बचाव कर रहे हैं।

कुर्बानी का मकसद और मोरक्को के किंग का फैसला

क़ुरान की सूरा अल-हज्ज (22:37) में साफ़ लिखा है कि जब लोग जानवरों की कुर्बानी करते हैं, तो उसका मांस या खून अल्लाह तक नहीं पहुँचता, बल्कि उसकी नज़र में इंसान की नीयत, इबादत और परहेज़गारी ही अहम होती है।

इसी तरह सूरा बकरा (2:196) में कहा गया है कि अगर कोई कुर्बानी नहीं कर सकता, तो वह रोज़ा रखकर भी इबादत कर सकता है।

मतलब यह कि कुर्बानी ही इबादत का एकमात्र तरीका नहीं है, बल्कि और भी तरीके हैं जिससे इंसान अल्लाह को याद कर सकता है। इसी सोच के साथ मोरक्को के किंग ने इस बार ईद पर लोगों से कहा है कि जानवरों की कुर्बानी की जगह इबादत और खैरात से त्योहार मनाएँ।

उनका यह फैसला कुरान की बातों से मेल खाता है और यह दिखाता है कि अगर नीयत सही हो, तो बिना कुर्बानी किए भी इबादत पूरी मानी जाती है। हो सकता है कि आने वाले समय में और देश भी पर्यावरण और इंसानियत को ध्यान में रखते हुए ऐसा ही फैसला लें।

नेपाल,चीन और ताइवान में भी बैन

जी हां, नेपाल, चीन और ताइवान में भी किसी त्यौहार या धार्मिक अनुष्ठान के लिए पशु बलि पर बैन है। इसी के चलते नेपाल में गढ़ीमाई त्योहार के दौरान भी अब पशु बलि पर पूरी तरह से बैन लगाया जा चुका है।

बता दें की साल 2015 से पहले इस त्यौहार के दौरान नेपाल के गढ़ीमाई मंदिर में लाखों पशु बलि की भेंट चढ़ जाते थे, लेकिन 2015 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यह प्रतिबंध पशुओं को बचाने के लिए लगाया गया है।

वहीँ चीन में भी ज़्यादातर लोग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, इसीलिए वहां भी पशु बलिदान पर प्रतिबंध लगा हैं।

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