Mohan Bhagwat: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने घटती जनसंख्या दर पर चिंता जताते हुए कहा कि किसी समाज की प्रजनन दर 2.1 से नीचे जाने पर वह धीरे-धीरे विलुप्त हो सकता है। नागपुर में आयोजित कथले कुल की बैठक में उन्होंने कहा कि समाज के अस्तित्व के लिए हर जोड़े को कम से कम 2 या 3 बच्चे पैदा करने चाहिए। भागवत ने जनसंख्या नीति को संतुलित विकास और भविष्य के लिए संसाधनों की उपलब्धता का जरिया बताया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या में गिरावट सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक नुकसान भी पहुंचा सकती है।
Mohan Bhagwat: विपक्ष ने घेरा
भागवत का यह बयान ऐसे समय आया है, जब देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग हो रही है। हिंदू समाज के एक वर्ग ने इसे मुस्लिम आबादी के बढ़ते प्रतिशत के संदर्भ में जोड़ा है। वहीं, कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में जनसंख्या विस्फोट हो चुका है और ऐसे में ज्यादा बच्चों का सुझाव सहीं नहीं है। भागवत के बयान पर सियासी बवाल भी तेज हो गया है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए पूछा कि अधिक बच्चे पैदा करने वालों को क्या कोई विशेष लाभ मिलेगा? उन्होंने तंज कसा कि क्या उन्हें लाड़ली बहना योजना की तरह आर्थिक मदद दी जाएगी।
जनसंख्या नियंत्रण और धार्मिक संतुलन पर बहस
कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जो पहले से हैं, उनके लिए नौकरियां उपलब्ध कराई जाएं। सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह जनसंख्या को लेकर राजनीति कर रही है। भागवत के इस बयान ने देश में जनसंख्या नियंत्रण और धार्मिक संतुलन पर बहस छेड़ दी है। यह मुद्दा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम हो सकता है, लेकिन इसे संतुलित नजरिए से देखना होगा। जनसंख्या नीति पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने और सभी समुदायों के हितों को ध्यान में रखते हुए काम करने की जरूरत है।