सैन्य हथियार: 2014 में जबसे मोदी सरकार केंद्र में आई है, तब से भारतीय सेना की सुदृढ़ता सरकार के सबसे महत्वपूर्ण एजेंडे में शामिल रही है। बीते 11 सालों में भारतीय सेना को अत्याधुनिक और सबसे मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गये हैं, जिससे भारतीय सेना विश्व की सबसे शक्तिशाली सैन्य शक्तियों में अपनी अग्रणी पहचान बना ली है।
मोदी सरकार के इन कामों की वजह से ही भारत निश्चिन्त होकर दुश्मन को आँख दिखा रहा है और हिसाब चुकता कर रहा है। वरना 2014 तक कांग्रेस शासन में सेना के पास कुछ दिन लड़ने का समान भी नहीं बचा था। गौरतलब है कि 2019 तक पहले कार्यकाल में ही रक्षा की सबसे बड़ी डीलें कर दी गयी थीं जो अब पूरी तरह भारत को मिल चुकी हैं।
2019 के बाद भी लगातार डीलें की गयीं जो तेजी से पूरी हो रही हैं, पर इस लेख में हम केवल उन डीलों की बात कर रहे हैं जो 99 % पूर्ण हो गयीं हैं और जिन्होंने भारत की सेना को सिरमौर बना दिया है जिससे पाकिस्तान की पेंट गीली हो रही है। आइए देखते हैं वे कदम जिन्होंने भारतीय सेना को बना दिया अत्याधुनिक:-
मोदी का कालखंड भारत में सैन्य हथियारों का स्वर्णयुग
सैन्य हथियार: होवित्ज़र तोपों के आगे नहीं टिकेंगे दुश्मन
1. के-9 वज्रा-टी 155MM सेल्फ-प्रोपेल्ड होविट्ज़र
सैन्य हथियार: मेक इन इंडिया के तहत भारतीय सेना के लिए में लार्सन एंड टर्बो द्वारा के-9 वज्रा-टी 155MM सेल्फ-प्रोपेल्ड होविट्ज़र बनाई गई। 100 के-9 वज्रा सेना को दे दी गईं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने लार्सन एंड टर्बो के गुजरात के हाज़िरा में स्थित Armoured Systems Complex (ASC) का उद्घाटन किया था। ASC एक अत्याधुनिक परिसर है जहाँ के 9 होविट्ज़र, इन्फेंट्री के लिए लड़ाकू वाहन, युद्ध टैंक जैसे हथियार बनाने के काम आ रहा है।
वहीं पाकिस्तान को अमेरिका से 115 M109A5 होविट्ज़र 2009 में ही मिल गई थी, जबकि कांग्रेस सरकार को कई बार बोलने पर भी सरकार ने सेना की इस ज़रूरत को पूरा करने के बारे में नहीं सोचा। किन्तु मोदी सरकार आने के बाद भारत की सेना को यह बंदूकें दिलाने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई थी।

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2. M777 होवित्ज़र तोप
सैन्य हथियार: अमेरिका में बनी M777 होवित्ज़र तोप 2019 में आर्मी को मिली। ऐसी 145 होवित्ज़र्स के लिए भारत और अमेरिका के बीच नवंबर 2016 में हुआ था जो भारत आ चुकी हैं। ऐसी पहली पच्चीस होवित्ज़र रेडी-टू-यूज़ आई थीं और बाकी भारत में ही महिंद्रा डिफेन्स में जोड़ कर तैयार की गयी हैं।
यह तीन दशकों में भारतीय सेना में शामिल की जाने वाली पहली फील्ड गन्स हैं। इन तोपों को लेने का प्रस्ताव 2010 में आया था पर कांग्रेस सरकार के लचर रवैय्ये की वजह से यह प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में चला गया था।
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फिर मई 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद इन तोपों को लाने की प्रक्रिया फिर से शुरू की गई थी पर UPA के समय हुई ढील की वजह से इन तोपों की कीमत बढ़ चुकी थी। इस सौदे पर मोदी सरकार ने फिर से काम किया और मेक इन इंडिया के तहत इनमें से अधिकतर तोपों को भारत में जोड़ने का प्रावधान रखा गया। सिर्फ इतना ही नहीं इन तोपों में भारत में बना बारूद प्रयोग किया जाएगा।

अत्याधुनिक हेलिकॉप्टरों की जद में आसमान
3. चिनूक और 12 बोइंग AH-64 अपाचे अटैक हेलीकाप्टर
सैन्य हथियार: इन बंदूकों का इस्तेमाल भारत चीन की सीमा पर किया जा रहा है और इन्हे बोइंग CH-47 चिनूक हैविलिफ्ट हेलीकाप्टर द्वारा वहाँ ले जाया गया था। ऐसी 15 चिनूक और 12 बोइंग AH-64 अपाचे अटैक हेलीकाप्टर का सौदा 2018 जुलाई में किया गया था। अब यह भारतीय सेना को मिल चुके हैं। यह हेलीकॉप्टर भारतीय सेना के लिए गेम चेंजर साबित हुए हैं क्योंकि इससे पहले तक पुराने रशियन Mi-17 मध्यम लिफ्ट हेलीकाप्टर और Mi-26 हेलीकाप्टर पर निर्भर रहना पड़ता था।
फिलहाल भारत के पास अब तक अटैक हेलीकाप्टर के नाम पर सिर्फ Mi-35 हेलीकाप्टर ही थे। इन हेलीकाप्टर के तीन अरब डॉलर के सौदे में ओफ़्सेट का प्रावधान भी है जो भारत के रक्षा क्षेत्र में एक अरब का व्यापार लेकर आया है।
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बोइंग के इस सौदे को भी UPA ने 2005 से आठ साल तक खींच कर 2013 में ठप्प कर दिया था, यह जानने के बाद भी की भारतीय सेना को इनकी कितनी ज़रुरत थी। अंततः मोदी सरकार ने इस सौदे को अंजाम दिया।
पर मोदी सरकार ने सेना के अनुरोध पर छः अधिक अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टर भी खरीदे। इन सब के साथ ही भारत को 22 Apache AH 64D Longbow हेलीकाप्टर भी मिले हैं जो एडवांस्ड मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकाप्टर हैं। इनके ज्यादातर पुर्जे भारत की कंपनियां ही बना रही हैं।

हर दिशा अचूक निशाने वाली मिसाइलों की नजर में
4. सरफेस-टू-एयर (MASAM) मिसाइल
सैन्य हथियार: मोदी सरकार की वजह से कई सालों के इन्तज़ार के बाद अब एडवांस्ड मध्यम रेंज सरफेस-टू-एयर (MRSAM) मिसाइल भी सेना को मिली हैं। 2018 जनवरी में ही भारत ने इजराइल के साथ इन मिसाइल का सौदा किया था। यह मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल, फाइटर जेट, ड्रोन, सर्वेलन्स एयरक्राफ्ट इत्यादि को मार गिराने में सक्षम हैं।
मई 2015 में भारत में बनी सुपरसोनिक सरफेस-टू-एयर मिसाइल आकाश भारतीय सेना में शामिल की गईं थीं। यह मिसाइल दुश्मनों के हेलीकाप्टर, एयरक्राफ्ट आदि को 25 किलोमीटर की रेंज से निशाना बनाने में सक्षम हैं।
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5. बराक 8 लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM) और एयर एंड मिसाइल डिफेन्स सिस्टम्स
सैन्य हथियार: 2018 में मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM) और एयर एंड मिसाइल डिफेन्स सिस्टम्स भारत में बनाने के लिए इजराइल के साथ 777 मिलियन डॉलर का सौदा भी किया था। यह LRSAM बराक 8 का ही एक हिस्सा है जिसे पहले ही भारतीय सेना में शामिल किया जा चुका है।
यह LRSAM DRDO इजराइल के साथ साझेदारी में बनाई हैं। यह प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया अभियान की सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
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6. S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम
सैन्य हथियार: अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों की चिंता ना करते हुए भी 2018 में भारत ने S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम के लिए समझौता किया था। हार मानकर अमेरिका को भी भारत को छूट देनी पड़ी। यह खतरा मोदी सरकार ने सिर्फ इसलिए मोल लिया ताकि भारतीय वायु सेना की घटती स्क्वाड्रन क्षमता को बढ़ाया जा सके।
इस बात को समझना ज़रूरी है की UPA सरकार के दौरान ना सिर्फ वायु सेना की गिरती स्क्वाड्रन क्षमता पर कोई भी ध्यान दिया गया बल्कि भारत की कमज़ोर राडार नेटवर्क रेंज को भी नज़रअंदाज़ किया गया। पर अब मोदी सरकार के तमाम हेलीकाप्टर, मिसाइल, और एयर डिफेन्स सिस्टम की खरीद की वजह से भारतीय सैन्य क्षमता में UPA सरकार के दौरान आईं खामियों को जल्द ही हटा दिया गया।
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समुद्र के ऊपर पहरा और नीचे सबमरीन हमले को तैयार
7. सबमरीन विरोधी सर्विलांस एयरक्राफ्ट
सैन्य हथियार: UPA सरकार ने भारत की वायु सेना के अथक अनुरोध के बाद भी बोइंग गश्ती विमान P-8 पोसीडॉन सबमरीन विरोधी सर्विलांस एयरक्राफ्ट नहीं खरीदे थे जबकि मोदी सरकार ने 2016 में ही ऐसे चार एयरक्राफ्ट के अर्जेंट खरीद का आर्डर दे दिया था जो अब नौसेना को मिल चुके हैं।
यह एयरक्राफ्ट भारतीय वायु सेना (नौसेना) के लिए बहुत कारगर साबित हुए हैं। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुवात में ही सात स्टेल्थ फ़्रिगेट और छः न्यूक्लिअर चालित सबमरीन के निर्माण को हरी झंडी दिखा दी थी। इससे हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की नौसैनिक सैन्य क्षमता और प्रबल हुई है।
लंबे इंतजार के बाद सितम्बर 2017 को भारतीय नौसेना को पहली स्कॉर्पीन पनडुब्बी, INS कलवरी भी सौंप दिया गया। दुनिया की सबसे घातक पनडुब्बी में से एक माने जाने वाली आईएनएस कलवरी के मिलने से नौ सेना की समुद्र में ताकत बढ़ गई है। केंद्र सरकार ने ऐसी 5 और पनडुब्बियों को नौ सेना में शामिल करने का फैसला किया जिनमें दो और पनडुब्बियों ‘खंडेरी’ और ‘करंज’ का परीक्षण अभी जारी है।
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– छह सबमरीन और 5000 मिलन 2टी एंटी टैंक के लिए रक्षा परिषद की मंजूरी
– भारतीय नौसेना को मिली दुनिया की सबसे घातक सबमरीन, नाम है INS कलावरी
– 40,000 करोड़ की 6 सबमरीन और 5,000 मिलन 2T एंटी-टैंक के लिए रक्षा मंत्रालय से मिली अनुमति

8. क्रिवक III-class स्टेल्थ फ़्रिगेट
सैन्य हथियार: 2018 अक्टूबर में ही भारत ने रूस के साथ एक करार किया जिसके चलते भारत को दो क्रिवक III-class स्टेल्थ फ़्रिगेट मिले हैं। अक्टूबर 2016 में भी भारत और रूस के बीच ऐसी चार फ़्रिगेट के लिए एक करार साइन हुआ था जिसके टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रावधान के चलते इनमे से दो फ़्रिगेट भारत में ही बने हैं।
स्पेशल रिपोर्ट: भारत को मिला 2 रूसी स्टील्थ फ्रिगेट बनाने का सौदा

09. मिलान एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें
सैन्य हथियार: 2018 ही में सरकार ने मेक इन इंडिया के अंतर्गत छः प्रोजेक्ट 75 (I) सबमरीन भारत में बनाने का फैसला लिया था. उस समय यह फैसला भी लिया गया कि भारतीय सेना के लिए तकरीबन 5000 मिलान एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें मंगाईं जाएँगी, जो कि भारत आ चुकी हैं।
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वायुसेना को अजेय बना देगा राफेल विमानों का एतिहासिक सौदा
10. राफेल समझौता
सैन्य हथियार: इस सबके साथ ही मोदी सरकार ने सितम्बर 2016 में फ्रांस के साथ राफेल समझौता किया. यह समझौता UPA के कार्यकाल में दस साल तक लटका रहा और फिर उन्होंने यह कह के डील पूरी नहीं की ‘की विमानों के लिए पैसे नहीं हैं’। पर मोदी सरकार ने भारतीय वायुसेना की ज़रूरत को समझा और तुरंत 36 राफेल विमानों का आर्डर दिया।
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ऑपरेशन सिंदूर: सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस की एक एक बात समझिए, आगे क्या होगा?