Saturday, May 31, 2025

Maruti Bhujangrao Chitampalli: वन्यजीव संरक्षण, मराठी साहित्य में मारुति भुजंगराव चितमपल्ली को मिला पद्मश्री

MARUTI BHUJANGRAO CHITAMPALLI: 5 नवंबर 1932 को जन्मे मारुति भुजंगराव चितमपल्ली एक भारतीय प्रकृतिवादी, वन्यजीव विशेषज्ञ और प्रतिष्ठित मराठी साहित्यकार हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा टी.एम. पोर स्कूल और सोलापुर के नॉर्थकोट टेक्निकल हाई स्कूल (1952-53) में हुई।

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इसके बाद उन्होंने दयानंद कॉलेज, सोलापुर से उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। वनस्पति विज्ञान और प्रकृति में रुचि के चलते उन्होंने 1958 में तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित राज्य वन सेवा कॉलेज में दो वर्षीय वानिकी पाठ्यक्रम में दाखिला लिया, जिसे उन्होंने 1960 में पूरा किया। यही शिक्षा उनके वन सेवा के समर्पित करियर की आधारशिला बनी।

MARUTI BHUJANGRAO CHITAMPALLI: वानिकी सेवा और प्रशासनिक योगदान

चितमपल्ली ने महाराष्ट्र राज्य वन विभाग में एक समर्पित अधिकारी के रूप में अपना योगदान दिया। वे अंततः उप मुख्य वन संरक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए।

अपने कार्यकाल में उन्होंने राज्य में कई महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना, विकास और प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाई।

इनमें कर्नाला पक्षी अभयारण्य, नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान और नागजीरा वन्यजीव अभयारण्य प्रमुख हैं। उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण में संरक्षण, पारिस्थितिकी और जन-जागरूकता का सुंदर समन्वय रहा।

मराठी साहित्य में प्रकृति का चित्रण

चितमपल्ली का साहित्यिक योगदान उतना ही प्रभावशाली रहा जितना उनका प्रशासनिक। उन्होंने मराठी में वन्यजीव, पर्यावरण और प्रकृति आधारित विषयों पर 18 से अधिक पुस्तकों की रचना की।

उनके प्रसिद्ध ग्रंथों में “जंगलची दुनिया”, “चकवचंदन”, “नीलवंती” और “रणवता” शामिल हैं। इन कृतियों में उन्होंने जंगलों, पक्षियों, पेड़-पौधों और वन्यजीवों के व्यवहार का बारीक अध्ययन प्रस्तुत किया है, जिसने मराठी पाठकों को प्रकृति से जोड़ने का काम किया।

भाषाई नवाचार और वैज्ञानिक शब्दावली

चितमपल्ली न केवल साहित्यकार थे, बल्कि भाषाविद् भी थे। उन्होंने संस्कृत, जर्मन और रूसी भाषाओं का अध्ययन किया और प्राचीन भारतीय साहित्य पर कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक से एक पाठ्यक्रम भी पूर्ण किया।

उन्होंने पर्यावरण पर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम में भाग लिया, जिससे उनकी विद्वत्ता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भी समृद्ध हुआ।

उन्होंने मराठी में पक्षी विज्ञान की शब्दावली को समृद्ध करते हुए कई शब्द गढ़े। उदाहरणस्वरूप, “रूकरी” (कौओं की कॉलोनी) के लिए “काकागर”, “हेरोनरी” (बगुलों और सारसों का प्रजनन स्थल) के लिए “सारंगागर”,

“रोस्टिंग प्लेस” के लिए “रत्निवारा”, और “अमलताश” तथा “रायमुनिया” जैसे पौधों के लिए स्थानीय नाम प्रचलित किए। इससे न केवल मराठी भाषा में वैज्ञानिक लेखन को गति मिली, बल्कि आम जन की पर्यावरणीय समझ भी बढ़ी।

‘पक्षी सप्ताह’ और पर्यावरणीय जागरूकता

उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप महाराष्ट्र सरकार ने ‘पक्षी सप्ताह’ (Bird Week) को एक आधिकारिक राज्य कार्यक्रम के रूप में मान्यता दी, जो कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण और पक्षी विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस आयोजन के पीछे प्रेरणास्रोत स्वयं चितमपल्ली थे, जिन्होंने अपनी पूरी जीवन यात्रा को प्रकृति के संरक्षण को समर्पित किया।

पद्मश्री सम्मान 2025: एक ऐतिहासिक मान्यता

भारत सरकार ने वर्ष 2025 में मारुति भुजंगराव चितमपल्ली को पद्मश्री से सम्मानित किया, जो कि भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान उन्हें उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।

जिसमें वन्यजीव संरक्षण, मराठी साहित्य में प्रकृति की जीवंत प्रस्तुति, पर्यावरणीय शिक्षा का प्रसार, तथा पक्षी विज्ञान की मराठी शब्दावली को समृद्ध करने जैसा बहुआयामी कार्य शामिल है।

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Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
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