MAHAVIR JAYANTI: 10 मार्च को महावीर जयंती आने वाली ही जो जैन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है। ऐसे में चलिए जानते है महावीर स्वामी और उनके पांच सिद्धांत के बारे में।
जैन शब्द ‘जिन’ शब्द से आया है, जिसका अर्थ है ‘जीतने वाला’। जैन ग्रंथों के अनुसार, यह धर्म अनंत काल से माना जाता रहा है और यह सबसे पुराना और प्रचलित धर्मों में एक है।
MAHAVIR JAYANTI: जैसे हिंदू धर्म में दिवाली, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी आदि खास पर्व होते हैं वैसे ही जैन धर्म में महावीर जयंती सबसे पवित्र पर्वों में से एक है। इस त्यौहार की अपनी एक खास अहमियत है। इस पर्व को जैन धर्म और संस्कृति के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल महावीर जयंती का त्यौहार 10 अप्रैल 2025 को है।
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MAHAVIR JAYANTI: कौन थे स्वामी महावीर ?
बिहार के वैशाली जिले के एक गांव कुंडलपुर में स्वामी महावीर का जन्म एक राजसी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम रानी त्रिशला था। लेकिन इन्होने संन्यासी बनने के लिए काफी कम उम्र में भव्य जीवन को त्याग कर संन्यास लिया और जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए।
MAHAVIR JAYANTI: जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान महावीर ने लगातार 12 साल कठोर तपस्या करी। उन्होंने मौन तप और जप किया, स्वंय के केश लुंचित (तोड़े) किए, अपनी इंद्रियों पर काबू पाया और फिर ज्ञान प्राप्त किया। भगवान महावीर के उपदेश आज भी व्यक्ति को आत्मानुशासन, संयम और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
MAHAVIR JAYANTI: महावीर स्वामी के 5 सिद्धांत
महावीर स्वामी ने समाज के लोगों के कल्याण के लिए संदेश दिए थे। इनके पांच सन्देश थे सत्य, अहिंसा, अस्त्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य का पालन करना। जिनका पालन जैन धर्म के लोग आज भी करते है। महावीर के अनुयायियों जीवात्माओं की बलि के सख्त खिलाफ है।