Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में यूं तो अनेक संस्थाएं, मंदिर-मठ और उद्योगपति तन-मन-धन से सेवा कार्य और अन्नभंडार (भंडारे) लगाने का पुण्य काम कर रहे हैं। भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति उद्योगपति गौतम अडानी भी इस बार महाकुंभ 2025 में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने यहां हर दिन एक लाख श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन कराने का संकल्प लिया है। गौतम अडानी अब गीता प्रेस गोरखपुर की किताबों का भी महाकुंभ में मुफ्त वितरण करने वाले हैं।
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‘आरती संग्रह’की एक करोड़ से प्रतियां बांटेंगे
गौतम अडानी ने गीता प्रेस की ‘आरती संग्रह’ किताब की एक करोड़ से अधिक प्रतियां महाकुंभ में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क बांटने का संकल्प लिया है। उन्होंने खुद सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर इस बात की जानकारी दी है। महाकुंभ में गीता प्रेस की किताबों को नि:शुल्क बांटने के लिए गौतम अडानी ने गीता प्रेस के पदाधिकारियों से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर उन्होंने लिखा, ‘महाकुंभ भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का महायज्ञ है!यह हमारे लिए अपार संतुष्टि का विषय है कि इस महायज्ञ में प्रतिष्ठित संस्थान गीता प्रेस के सहयोग से हम ‘आरती संग्रह’ की एक करोड़ प्रतियां कुंभ में आए श्रद्धालुओं की सेवा में निशुल्क अर्पित कर रहे हैं।‘
Mahakumbh 2025: हर दिन एक लाख श्रद्धालुओं को मुफ्त खाना
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी महाकुंभ में हर दिन एक लाख श्रद्धालुओं को महाप्रसाद बांटने का भी ऐलान कर चुके। भोजन तैयार करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस दो विशाल रसोइयां बनाई गई हैं, जिसमें 2500 वॉलंटियर्स काम करेंगे। श्रद्धालुओं को रोटी, दाल, चावल, सब्जियां और मिठाइयों से सजी थाली परोसी जाएगी। दिव्यांग, बुजुर्ग और बच्चों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाएंगी। स्वच्छता के लिए 18 हजार सफाई कर्मचारी भी तैनात किए जाएंगे।
लिखा, ‘सेवा ही साधना, प्रार्थना और परमात्मा है’
गौतम अडानी ने कहा आज सनातन साहित्य के माध्यम से 100 वर्षों से राष्ट्र की सेवा कर रहे गीता प्रेस के सम्मानित पदाधिकारियों से मिलकर प्रेरणा प्राप्त हुई और गीता प्रेस के उत्कृष्ट सेवा कार्यों के प्रति आभार व्यक्त करने का सौभाग्य मिला। नि:स्वार्थ सेवाभाव और धर्म एवं संस्कृति के प्रति उत्तरदायित्व की भावना राष्ट्रप्रेम का ही एक रूप है, जिसके लिए हम सभी प्रतिबद्ध हैं। सेवा साधना है, सेवा प्रार्थना है और सेवा ही परमात्मा है।
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