Tuesday, July 15, 2025

फातिमा का मंदिर की संपत्ति पर दावा खारिज, मद्रास हाईकोर्ट सख्त: कहा, “मंदिर-देवताओं के हितों की रक्षा करना न्यायालय का कर्तव्य है”

मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि भगवान में आस्था रखने वाला कोई भी नागरिक मंदिर की संपत्तियों की रक्षा के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह स्वयं मंदिरों और देवताओं के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य है।

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जस्टिस एडी जगदीश चंद्रा ने यह बात चेन्नई स्थित चन्ना मल्लेश्वर और चन्ना केशव पेरुमल मंदिरों की संपत्ति पर दावे को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। उन्होंने इस दौरान याचिकाकर्ता ए.ए. फातिमा नाचिया की याचिका को खारिज कर दिया।

श्रद्धालुओं को भी मंदिर संपत्ति की सुरक्षा के लिए है अधिकार, कोर्ट का दो टूक जवाब

न्यायमूर्ति जगदीश चंद्रा ने अपने आदेश में लिखा कि कोई भी ऐसा व्यक्ति जो मंदिर में गहरी श्रद्धा और रुचि रखता हो, वह मंदिर की संपत्ति की रक्षा के लिए कानून की सहायता ले सकता है। इसके साथ ही न्यायालय भी धार्मिक संस्थानों की रक्षा को लेकर संवैधानिक और कानूनी रूप से उत्तरदायी है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि मंदिर किसी व्यक्ति विशेष की निजी संपत्ति नहीं बल्कि समाज की आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक होते हैं, इसलिए इनकी रक्षा में हर नागरिक की भूमिका है।

पति के नाम पर मंदिर की जमीन मांग रही थी फातिमा, कोर्ट ने किया साफ इनकार

फातिमा नाचिया की याचिका का विषय यह था कि वह अपने मृतक पति मोहम्मद इकबाल के नाम पर उस मंदिर की जमीन पर अधिकार चाहती थीं, जो कभी उन्हें पट्टे पर मिली थी। मंदिर प्रबंध समिति ने 1994 में इकबाल के खिलाफ दीवानी अदालत में मामला दायर किया था।

इस याचिका पर 2000 में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मंदिर की भूमि इकबाल से वापस लेने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ इकबाल ने अपील की, और उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी फातिमा ने मुकदमा जारी रखा।

मुकदमे को अनावश्यक रूप से खींचने का प्रयास, कोर्ट ने जताई नाराजगी

अब मद्रास हाईकोर्ट ने फातिमा की अर्जी को खारिज करते हुए विवाद को समाप्त कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि फातिमा नाचिया बार-बार नई याचिकाएं दायर करके विवाद को अनावश्यक रूप से लंबा खींच रही थीं।

वह सिर्फ तकनीकी मुद्दों का सहारा लेकर मामले की मूल भावना से ध्यान भटका रही थीं। अदालत ने इसे न्यायिक प्रणाली के दुरुपयोग की तरह माना और कहा कि इस तरह के प्रयास मंदिर की संपत्ति और धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध हैं, जिन्हें किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।

चेन्नई के ऐतिहासिक मंदिरों में से है पेरुमल देवस्थानम, शिव और विष्णु दोनों को समर्पित

जिस मंदिर को लेकर विवाद था, वह चन्ना मल्लेश्वर और चन्ना केशव मंदिर है, जिसे संयुक्त रूप से पेरुमल देवस्थानम कहा जाता है। ये मंदिर चेन्नई के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिरों में गिने जाते हैं, जहाँ एक ओर भगवान विष्णु की पूजा होती है, तो दूसरी ओर भगवान शिव की।

चेन्ना शब्द से ही चेन्नई नाम की उत्पत्ति मानी जाती है, जिससे यह मंदिर धार्मिक के साथ-साथ ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। हिन्दू समाज के लिए यह मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है।

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