ब्राजील और अमेरिका के बीच गहराते तनाव के बीच ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने साफ़ कर दिया है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को फोन नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा ब्राजील के खिलाफ 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने के बाद स्थिति गंभीर हो चुकी है और शायद ट्रम्प चर्चा के इच्छुक ही नहीं हैं।
ट्रम्प से दूरी, जिनपिंग और मोदी से संपर्क की योजना
राष्ट्रपति लूला ने इस बात की पुष्टि की कि वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस परिस्थिति को लेकर बात करेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों के साथ सहयोग बढ़ाना अब ब्राजील की प्राथमिकताओं में शामिल होता जा रहा है।
अमेरिका के साथ बातचीत की संभावनाओं पर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि ट्रम्प की शैली संवाद के अनुकूल नहीं है।
टैरिफ़ वार से चरम पर पहुँचा ब्राजील-अमेरिका तनाव
ब्राजील और अमेरिका के रिश्ते अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच चुके हैं। 50 प्रतिशत टैरिफ़ के बाद व्यापार और कूटनीति दोनों ही दिशाओं में दूरी बढ़ी है।
ट्रम्प प्रशासन न सिर्फ़ टैरिफ़ के जरिए दबाव बना रहा है, बल्कि ब्राजील की आंतरिक राजनीति में भी हस्तक्षेप के आरोप झेल रहा है।

राष्ट्रपति ट्रम्प खुले तौर पर लूला के राजनीतिक प्रतिद्वंदी जेयर बोल्सोनारो का समर्थन कर चुके हैं।
जेयर बोल्सोनारो को लेकर अमेरिका-ब्राजील में आरोपों की जंग
पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो पर आरोप है कि 2022 के चुनाव में हारने के बावजूद उन्होंने सत्ता हथियाने की कोशिश की थी। सोमवार को ब्राज़ील के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाउस अरेस्ट में रखने का आदेश जारी किया।
ट्रम्प ने इस निर्णय पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी और लूला सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की मिलीभगत से ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ चलाने का आरोप लगाया।
ट्रम्प का बयान, टैरिफ़ ‘सज़ा’ है बोल्सोनारो पर कार्रवाई की
डोनाल्ड ट्रम्प ने यह भी साफ़ किया कि ब्राजील पर लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ़ दरअसल लूला सरकार को बोल्सोनारो के खिलाफ कार्यवाही करने की ‘सज़ा’ है।
उन्होंने लूला शासन को ‘तानाशाही शैली’ का बताया और कहा कि अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ ऐसा रवैया बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
अमेरिका से दूर होकर ब्रिक्स की ओर बढ़ता ब्राजील
स्थिति को देखकर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ब्राजील अब अमेरिका की बजाय ब्रिक्स देशों की ओर झुकाव बढ़ा सकता है।
रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर ब्राजील अब एक वैकल्पिक शक्ति समूह की ओर तेज़ी से अग्रसर है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका ने अपनी नीति नहीं बदली तो दोनों देशों के बीच संबंधों की वापसी की संभावनाएँ बहुत क्षीण हो जाएंगी।