Saturday, November 1, 2025

Love Relationship: आखिर क्यों Gen Z प्यार और पैसों के बीच कर रहें संघर्ष

Love Relationship: आज सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोग खुलकर कहते हैं कि वे डेट पर इसलिए गए क्योंकि घर में कुछ खाने को नहीं था या खुद खाना बनाने का मन नहीं था।
यह सुनने में भले मज़ाक लगे, लेकिन यह आज के दौर की सच्चाई है अब प्यार सिर्फ दिल की नहीं, बल्कि जेब की बात भी बन गया है।

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Love Relationship: महंगाई ने बदल दी डेटिंग की परिभाषा

आज के युवा रिश्ते निभाने से पहले खर्चों का हिसाब लगाने लगे हैं। बढ़ती महंगाई, नौकरी की असुरक्षा और हर महीने के बिलों ने रोमांस के रंग को भी फीका कर दिया है।


पहले डेटिंग का मतलब था किसी खास के साथ अच्छा वक्त बिताना, अब सवाल ये उठता है “कितना खर्च होगा?”

‘The Cuffing Economy Report’ के अनुसार, 51% अमेरिकी अब पैसों की वजह से कम डेट पर जाते हैं, जबकि Gen Z में यह आंकड़ा 58% तक पहुंच गया है।


44% युवाओं ने कहा कि वे सिर्फ उसी को डेट करेंगे जो उनसे ज्यादा कमाता हो, और करीब एक-तिहाई लोगों ने स्वीकार किया कि पैसों के कारण उनका रिश्ता टूट चुका है।

‘फ्री मील डेटिंग’ का नया ट्रेंड

अब डेटिंग सिर्फ रोमांस नहीं, कभी-कभी ‘फ्री डिनर’ का मौका भी बन गई है। सर्वे के मुताबिक, 26% लोग सिर्फ खाने के लिए डेट पर जाते हैं, और इनमें 31% Gen Z शामिल हैं।
कई युवाओं के लिए यह एक किफायती तरीका बन गया है जहां पेट भी भर जाता है और थोड़ा सोशल टाइम भी मिल जाता है।

पहले सवाल होता था “पहली डेट पर क्या पहनूं?”, अब चर्चा यह होती है कि “पहली डेट का बिल कौन देगा?”


47% लोगों का मानना है कि पहली डेट पर 50 से 100 डॉलर खर्च करना ‘सही बैलेंस’ है यानी न ज्यादा दिखावा, न जरूरत से ज्यादा बचत।

पैसों पर खुलापन और बराबरी की सोच

अब प्यार में पैसे की बात करना अजीब नहीं रहा।


37% लोगों का कहना है कि जब रिश्ता गंभीर हो जाए, तभी सैलरी शेयर करना ठीक है।

वहीं 54% कपल अपने पैसे अलग-अलग रखते हैं ताकि आर्थिक आज़ादी बनी रहे।


नए जमाने के रिश्तों का फॉर्मूला साफ है “साथ रहो, पर एक-दूसरे पर निर्भर मत बनो।”

प्यार का नया चेहरा

Gen Z के लिए रिश्ते अब बराबरी, सम्मान और आज़ादी पर टिके हैं।


वे जानते हैं कि अगर जेब खाली हो, तो रिश्ता भी बोझिल हो जाता है।


इसलिए अब प्यार सिर्फ दिल की बात नहीं रहा, बल्कि समझदारी, जिम्मेदारी और बजट का खेल बन चुका है।

इस नई “कफिंग इकोनॉमी” में वही कामयाब है जो दिल और खर्च दोनों का संतुलन बना सके।


आखिरकार, प्यार अब सिर्फ एहसास नहीं एक आर्थिक फैसला भी है।

Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
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