Liver Transplant: जब हम दिल की बीमारी किडनी फेल्योर या कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज की बात करते हैं, तो लोग अक्सर सजग हो जाते हैं लेकिन जैसे ही कोई कहता है कि “मुझे लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है” तो सामने वाला थोड़ा घबरा जाता है।
चेहरे पर चिंता आंखों में सवाल और ज़ुबान पर चुप्पी ये सब बताते हैं कि आज भी लिवर को लेकर हमारी जानकारी बेहद सीमित है।
असल में लिवर (यकृत) हमारे शरीर का वो अंग है जो बिना किसी शोर-शराबे के हर दिन हमें स्वस्थ रखने में जुटा रहता है।
आइए समझते हैं कि लिवर ट्रांसप्लांट क्या है, कब जरूरत पड़ती है, कितना खर्च आता है और क्या कोई अपना लिवर डोनेट कर सकता है?
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Liver Transplant: लिवर क्या करता है और यह इतना जरूरी क्यों है?
- यह खून को फिल्टर करता है और टॉक्सिन (ज़हर) बाहर निकालता है
- पाचन में मदद करता है, खासकर वसा को तोड़ने में
- शरीर को ऊर्जा (ग्लूकोज) स्टोर करके सप्लाई करता है
- खून को जमने में मदद करने वाले तत्व बनाता है
- दवाओं और शराब जैसे हानिकारक पदार्थों को निष्क्रिय करता है
इसलिए जब लिवर सही से काम नहीं करता, तो शरीर का पूरा सिस्टम बिगड़ने लगता है।
कब पड़ती है लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत?
लिवर ट्रांसप्लांट का मतलब है खराब लिवर को हटाकर किसी स्वस्थ व्यक्ति का लिवर (या उसका हिस्सा) मरीज के शरीर में लगाना। यह आखिरी इलाज तब होता है जब लिवर इतना खराब हो चुका होता है कि बाकी कोई इलाज काम नहीं आता।
लिवर ट्रांसप्लांट की प्रमुख वजहें
- क्रॉनिक लिवर सिरोसिस:
लंबे समय तक शराब पीने, हेपेटाइटिस बी/सी या फैटी लिवर के कारण लिवर सिकुड़कर खराब हो जाता है। - एक्यूट लिवर फेल्योर:
कभी-कभी अचानक लिवर काम करना बंद कर देता है—जैसे जहर खाने, हेपेटाइटिस ए जैसी अचानक आई बीमारी या दवाओं की अधिक मात्रा के कारण। - लिवर कैंसर:
जब लिवर में कैंसर बढ़ जाए और अन्य इलाज संभव न हो।
लक्षण जो इशारा करते हैं कि लिवर खराब हो रहा है
- बार-बार उल्टी आना
- आंखों और त्वचा का पीला पड़ जाना (जॉन्डिस)
- भूख न लगना या अचानक वजन घटना
- पेट में सूजन और पानी भर जाना
- बार-बार थकावट महसूस होना
- भ्रम या स्मृति की कमजोरी
अगर ये लक्षण दिखें और सामान्य इलाज बेअसर हो, तो डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दे सकते हैं।
लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च कितना आता है?
लिवर ट्रांसप्लांट एक जटिल और महंगी सर्जरी होती है, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर, ICU के उपकरण और लंबी देखभाल शामिल होती है।
- सर्जरी का खर्च: ₹20 लाख से ₹30 लाख तक
- हर महीने ₹10,000–₹20,000 की दवाएं
- बार-बार टेस्ट और नियमित डॉक्टर विज़िट
- 6 महीने से लेकर 1 साल तक विशेष निगरानी
इसलिए यह जरूरी है कि मरीज का परिवार भावनात्मक ही नहीं, आर्थिक रूप से भी तैयार हो।
क्या कोई जीवित व्यक्ति लिवर डोनेट कर सकता है?
लिवर शरीर का इकलौता ऐसा अंग है जो अपने आप दोबारा बढ़ सकता है। इसका मतलब अगर एक स्वस्थ व्यक्ति अपने लिवर का 60–70% हिस्सा किसी को डोनेट करता है, तो दोनों का लिवर कुछ महीनों में वापस पूरा आकार ले सकता है।
- लिविंग डोनर आमतौर पर परिवार का सदस्य होता है
- डोनर को भी सर्जरी से गुजरना पड़ता है, लेकिन खतरा कम होता है
- डोनेशन से पहले मेडिकल जांच और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाता है
क्या लिवर ट्रांसप्लांट सुरक्षित है?
आज लिवर ट्रांसप्लांट एक सफल और वैज्ञानिक प्रक्रिया बन चुकी है। भारत में कई बड़े अस्पतालों में 90% से ज्यादा सफलता दर है। मरीज की उम्र, बीमारी की स्थिति और ऑपरेशन के बाद देखभाल इस पर असर डालती है।
सर्जरी के बाद मरीज को कुछ सावधानियां रखनी होती हैं, जिसमें डॉक्टर की समय-समय पर सलाह लेना, नियमित दवाओं का सेवन, संक्रमण से बचाव। इसी के साथ ही शराब और जंक फूड से दूरी बेहद जरूरी है।
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