LIFESTYLE: भीषण गर्मी हो, चोट लग जाए या अचानक शरीर का सिस्टम बिगड़ जाए—इन परिस्थितियों में कई बार लोग बेहोश हो जाते हैं। ऐसे में सबसे पहले जो कदम अक्सर लोग उठाते हैं, वो है पानी के छींटे मारना।
लेकिन सवाल यह है कि क्या यह तरीका वास्तव में कारगर है या बस एक पारंपरिक आदत? आइए विशेषज्ञों और चिकित्सा शोधों के हवाले से समझते हैं कि बेहोशी की स्थिति में सही कदम क्या होना चाहिए।
पानी के छींटे,कितने असरदार हैं?
LIFESTYLE: चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारना एक पुरानी और आम तकनीक है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति को होश में लाना होता है। जर्नल ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन (2025) में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, यह तरीका कुछ मामलों में काम कर सकता है।
ठंडे पानी के संपर्क से स्किन पर अचानक ठंडक महसूस होती है, जिससे शरीर का नर्वस सिस्टम एक्टिव हो सकता है और ब्लड सर्कुलेशन तेज हो जाता है। नतीजा—व्यक्ति हल्की बेहोशी की स्थिति से बाहर आ सकता है।
हालांकि, यह तरीका केवल तब कारगर होता है जब बेहोशी हल्की हो और गर्मी या थकावट की वजह से हुई हो। अगर मामला ज्यादा गंभीर है—जैसे हार्ट फेल्योर, डायबिटिक शॉक या सिर में गंभीर चोट—तो पानी के छींटे बेकार हैं और कीमती वक्त बर्बाद कर सकते हैं।
LIFESTYLE: डॉक्टरों की क्या राय है?
LIFESTYLE: दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रजत शर्मा का कहना है,
“अगर व्यक्ति को हल्का चक्कर आया हो या गर्मी के कारण बेहोशी आई हो, तो पानी के छींटे कुछ हद तक मदद कर सकते हैं। लेकिन यह तरीका मेडिकल दृष्टि से भरोसेमंद नहीं है।”
वहीं, सर गंगाराम हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि अगर व्यक्ति हल्के होश में है और आवाज पर प्रतिक्रिया दे रहा है, तब हल्के पानी के छींटे मदद कर सकते हैं। लेकिन अगर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है, तो यह इमरजेंसी है और तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए।
LIFESTYLE: बेहोशी के मुख्य कारण
LIFESTYLE: बेहोशी अचानक आने वाली अवस्था है, लेकिन इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
गर्मी और डिहाइड्रेशन
लो ब्लड प्रेशर
डायबिटिक लो शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया)
सिर की चोट या ब्रेन स्ट्रोक
हार्ट अरेस्ट या कार्डियक अरेस्ट
लैंसेट ग्लोबल हेल्थ (2024) के अनुसार, भारत में गर्मियों के दौरान बेहोशी के 15-20% मामले डिहाइड्रेशन से जुड़े होते हैं।
पानी के छींटे कब और कैसे मारने चाहिए?
LIFESTYLE: यह तरीका केवल तब अपनाना चाहिए जब व्यक्ति पूरी तरह से बेहोश न हो और कुछ प्रतिक्रिया दे रहा हो (जैसे आंखें हिलाना, हल्का बोलना या सांस की गति सामान्य हो)।
छींटे बहुत हल्के होने चाहिए और सीधे चेहरे पर डाले जाने चाहिए।
ठंडा लेकिन बहुत ठंडा नहीं—पानी सामान्य से थोड़ा ठंडा हो, ताकि स्किन को झटका लगे लेकिन सांस पर असर न पड़े।
छींटे मारते समय यह देखें कि व्यक्ति सांस ले रहा है या नहीं। अगर सांस बंद है या पल्स नहीं मिल रही है, तो तुरंत CPR शुरू करें या एंबुलेंस बुलाएं।
LIFESTYLE: कब लेनी चाहिए मेडिकल सहायता?
व्यक्ति पूरी तरह बेहोश है और किसी भी आवाज या स्पर्श पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा।
सांस लेने में दिक्कत हो रही हो।
सिर में चोट लगी हो या झटका लगा हो।
पल्स बहुत धीमी या तेज हो गई हो।
LIFESTYLE: पानी के छींटे मारना एक पुरानी और पारंपरिक तकनीक जरूर है, लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। यह केवल हल्के मामलों में, जैसे गर्मी या डिहाइड्रेशन से हुई बेहोशी में, आंशिक रूप से मददगार हो सकता है। गंभीर स्थितियों में यह तरीका न अपनाएं और तुरंत मेडिकल सहायता लें।
कभी भी किसी की जान पारंपरिक उपायों के भरोसे न छोड़ें। सही जानकारी, समय पर मदद और सतर्कता ही जीवन बचा सकती है।