Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण का चित्र बनाया जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 2 नवंबर को रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में गोवर्धन पूजा का त्योहार 2 नवंबर को मनाया जाएगा और और शाम 6 बजकर 27 मिनट से पहले पूजा की जाएगी।
Govardhan Puja: कृष्ण ने इंद्र का तोड़ा घमंड
पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था। जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों के बचाव के लिए अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। इसके बाद सभी ब्रजवासी अपने जानवरों को लेकर पर्वत के नीचे आ गए, जिससे उनका इंद्रदेव के क्रोध से बचाव हुआ।
ब्रजवासियों ने की गोवर्धन की पूजा
वहीं ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को बताया कि वर्षा और जीविका का असली स्रोत गोवर्धन पर्वत है। कृष्ण ने उन्हें इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। इंद्र को गुस्सा आया और उन्होंने भारी बारिश की। तब कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी की रक्षा की। जिसकी याद में गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। वहीं ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की और भोग अर्पित किए। तभी से हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। साथ ही चारों तरफ घर अस्त-व्यस्त होने के कारण ब्रज वालों ने सब्जियों को मिलाकर अन्नकूट तैयार किया गया था और श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया।